Haryana Election
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हरियाणा की राजनीति में परिवारवाद आज या बीते कुछ चुनावों से नहीं, बल्कि 1967 में हुए प्रदेश के पहले चुनाव से है। राव तुलाराम के वंशज राव बीरेंद्र सिंह अहीरवाल, तो कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता रणबीर सिंह हुड्डा देसवाली बेल्ट में सक्रिय थे।
किसान नेता सर छोटूराम के दामाद चौधरी नेकी राम पहले संयुक्त पंजाब में मंत्री रहे और हरियाणा बनने के बाद बांगर क्षेत्र की राजनीति में सक्रिय रहे। चौधरी देवीलाल और उनका परिवार प्रदेश व देश की राजनीति में सक्रिय रहा है।
इस बार भी हरियाणा विधानसभा चुनाव में परिवारवाद की राजनीति खूब चली है। राजनीतिक घरानों से भाजपा ने 11 व कांग्रेस ने 24 प्रत्याशी उतारे हैं। वहीं, इस चुनाव में परिवारों में राजनीति भी हो रही है। तोशाम में बंसीलाल का परिवार आमने-सामने है, तो डबवाली में चौटाला परिवार से चार प्रत्याशी हैं। बहादुरगढ़ में कांग्रेस के राजेंद्र जून के सामने उनका भतीजा लड़ रहा है।
चौटाला परिवार
इस बार चुनाव में पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के परिवार के आठ सदस्य मैदान में हैं। सभी प्रत्याशी दूसरी से चौथी पीढ़ी के सदस्य हैं। देवीलाल के बेटे व पूर्व मंत्री रणजीत चौटाला रानियां से निर्दलीय लड़ रहे हैं। उनके सामने उनके बड़े भाई व पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के पोते अर्जुन इनेलो से मैदान में हैं। ओमप्रकाश के छोटे बेटे अभय इनेलो से एलनाबाद से चुनाव लड़ रहे हैं।
Haryana: राजनीति में परिवार और परिवार में राजनीति… कांग्रेस ने 24 तो BJP ने इतने राजनीतिक घरानों को दिए टिकट