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Haryana: महम विधानसभा क्षेत्र कुंडू को युवा चेहरों की चुनौती, जानिए क्या बन रहे समीकरण Latest Haryana News

Haryana: महम विधानसभा क्षेत्र कुंडू को युवा चेहरों की चुनौती, जानिए क्या बन रहे समीकरण  Latest Haryana News

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बलराज कुंडू, राधा अहलावत, दीपक हुड्डा, बलराम दांगी।
– फोटो : संवाद

विस्तार


28 फरवरी 1990 के चर्चित ‘महम कांड’ के कारण यह विधानसभा क्षेत्र सुर्खियों में रहा। इसके बाद ओमप्रकाश चाैटाला और आनंद सिंह दांगी चर्चा में आए। महम जाट बहुल विधानसभा क्षेत्र है। यहां सभी विधायक जाट ही हुए हैं। वर्तमान में कांग्रेस ने आनंद सिंह दांगी के पुत्र बलराम दांगी को मैदान में उतारा। पिता की राजनीतिक विरासत समेटे बलराम युवा चेहरा हैं।

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भाजपा ने भी टक्कर देने के लिए दीपक हुड्डा के रूप में युवा चेहरा ही मैदान में उतारा है। खेल बहुल प्रदेश हरियाणा के लाडले दीपक हुड्डा भारतीय कबड्डी टीम के पूर्व कप्तान हैं। संघर्षपूर्ण व सादगीभरा जीवन ही उनका बैकग्राउंड है और कबड्डी उनका प्रिय खेल। बाॅक्सर स्वीटी बूरा से शादी की। महम के गांवों के बच्चों को खेलों में आगे बढ़ाया।

खेल प्रतियोगिताएं कराईं। आम आदमी पार्टी ने विकास नेहरा को यहां से टिकट देकर चेहरा बनाया है। विकास खेतीबाड़ी करते हैं। 2022 में आप में शामिल हुए। चार दिन पहले महम चाैबीसी कर चुके हैं। यह पहला चुनाव लड़ेंगे।

महम सीट पर मुकाबला भाजपा और कांग्रेस दोनों युवा नेताओं के लिए चुनाैतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि इनके सामने हरियाणा जनसेवक पार्टी के अध्यक्ष व विधायक बलराज कुंडू रहेंगे। वे भाजपा में रहे। 2019 में भाजपा नेता शमशेर खरकड़ा को टिकट मिलने के बाद उन्होंने बगावत की और निर्दलीय ताल ठोकी। चार बार के विधायक रहे आनंद दांगी को हराया।

बाद में हरियाणा जनसेवक पार्टी बनाई और उन्होंने बेटियों को शिक्षा-सुरक्षा के क्षेत्र में काम किया। इस समय कई ग्रामीण इलाकों तक इनकी निशुल्क बस सेवा बेटियों को शहर तक पढ़ने के लिए लाती और ले जाती है। यह इनकी सबसे बड़ी ताकत है। कुंडू ने इस बार भी दावेदारी ठोकी है।

1982 के चुनाव में महम अचानक बनी हाॅट सीट

पहली बार 1962 के चुनाव में वजूद में आया महम विधानसभा क्षेत्र आरक्षित क्षेत्र था और यहां से हरियाणा लोक समिति के रामधारी पहले विधायक चुने गए थे। 1967 में हरियाणा के पहले विधानसभा चुनाव हुए तो यह सीट सामान्य कर दी गई। निर्दलीय प्रत्याशी प्रो. महासिंह विधायक चुने गए। 1982 के चुनाव में चाैधरी देवीलाल के ताल ठोकने से महम अचानक हाॅट सीट बन गई। उन्होंने कांग्रेस के हरसरूप बूरा को हराया। 1985 में राजीव-लोंगोवाल समझाैते के खिलाफ देवीलाल ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। उपचुनाव हुआ तो उन्होंने कांग्रेस के चाैधरी राज सिंह दलाल को हराया। 1987 में महम से चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बने तो महम का रुतबा और भी बढ़ गया। रोचक तथ्य यह है कि 1967 में महम चौबीसी के पंचायती उम्मीदवार के रूप में विधायक बने प्रो. महासिंह व आनंद सिंह दांगी भी मंत्री रह चुके हैं।

40 प्रतिशत जाट संभाले हैं महम की कमान

महम विधानसभा सीट शुरू से ही जाट बहुल रही है। अनुमानित जातीय आंकड़ों पर गाैर करें तो विधानसभा क्षेत्र में जाट मतदाता सबसे अधिक 40 प्रतिशत हैं। महम विधानसभा सीट पर कुल 198656 मतदाता हैं। इनमें जाट मतदाता 96490 हैं। 25 से 28 प्रतिशत अनुसूचित जाति के मतदाता, 10 से 12 प्रतिशत ब्राह्मण, 4 प्रतिशत पंजाबी और 11 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग के अन्य मतदाता हैं।    

वे गांव जो बदलते हैं हलके की राजनीति का रुख

मोखरा, बहलबा, मदीना, निंदाणा, खरैंटी, सैमाण, फरमाना, लाखन माजरा, भैणी सुरजन, बहुअकबरपुर, डोभ, गद्दीखेड़ी, अलायब, गिरावड़, सीसर खास।

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