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एनआईए (सांकेतिक) – फोटो : अमर उजाला
विस्तार
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में तीन खालिस्तानी आतंकियों के एनकाउंटर के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की जांच में अहम खुलासे हो रहे हैं। एनआईए को हरियाणा और पंजाब में विभिन्न लोकेशन पर छापे के दौरान आतंकियों द्वारा इस्तेमाल डेड ड्रॉप मॉडल से जुड़े इनपुट मिले हैं। एजेंसी ने आशंका जताई है कि इसी मॉडल के जरिए गैंगस्टरों को जोड़कर आतंकी संगठन अपनी जमीन तलाशने में जुटे हैं। हालांकि, आतंकियों से दो कदम आगे चलने वाली एनआईए अपनी जांच के आधार पर आतंकी-गैंगस्टर के मॉड्यूल को ध्वस्त करने में लगी है।
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एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विदेश में बैठकर आतंकी वारदात की साजिश रचने के बाद अपने हैंडलरों के जरिये उसे अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं। हरियाणा-पंजाब में सक्रिय गैंगस्टरों के नेटवर्क से आतंकी अपने विश्वासपात्र गुर्गे को चुनते हैं। इसके बाद यह आतंकी संगठन अपने डेड ड्रॉप मॉडल यानी वो खुफिया जगह जो उनके हैंडलर को मालूम होती है, वहां पर हथियार और गोला-बारूद पहुंचाकर घटना को अंजाम देते हैं। आतंकी संगठनों की ओर से न केवल अपने लक्ष्य की योजना बल्कि उन्हें अंजाम तक पहुंचाने के लिए हथियार कहां से उपलब्ध होंगे, उन हैंडलर से लिंक, लोकेशन व अन्य निर्देश भी साझा किए जाते हैं।
हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे आतंकी संगठन
एनआईए सूत्रों के मुताबिक आतंकी हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल करने लगे हैं। इसके लिए इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई), बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) और केटीएफ (केटीएफ) के अलावा अन्य खालिस्तानी संगठनों को अमेरिका, कनाडा और अन्य देश से फंडिंग भी की जा रही है। इन्हीं रुपयों की ताकत पर हरियाणा-पंजाब के गैंगस्टर, उनके गुर्गों के अलावा अन्य साधारण लोगों को भी आतंकी संगठन के सदस्य फंडिंग करके वारदात को अंजाम देते हैं।
10 दिसंबर को गुरुग्राम के सेक्टर-29 स्थित दो क्लबों के बाहर बम धमाकों का आतंकी कनेक्शन सामने आया था। पुलिस ने इस मामले में दर्ज एफआईआर में लिखा है कि गिरफ्तार आरोपी आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल के लिए फंड जुटाने का काम करने वाले गैंगस्टर गोल्डी बराड़ गैंग के लिए ही काम करता है।
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Haryana: गैंगस्टरों के गठजोड़ से जमीन तलाश रहे खालिस्तानी आतंकी, NIA रेड से मिले डेड ड्रॉप मॉडल से जुड़े इनपुट