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पुरानी अनाज मंडी में भरे बारिश के पानी से गुजरती गाड़ी।
– फोटो : संवाद
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हरियाणा के उचाना शहर में कई वर्षों से विकास का इंतजार है। यहां की जल निकासी व्यवस्था फेल है। बारिश में हालात और बदतर हो जाते हैं। बारिश के मौसम में तो यहां से पैदल चलने वाले लोगों का निकलना भी दूभर हो जाता है। पानी निकासी कि समस्या जिस तरह 20 साल पूर्व थी, उसी तरह आज भी हैं।
यहां जब भी बारिश होती है, तो काॅलोनियों, बाजारों की दुकानों में पानी भर जाता है। तेज बारिश होने से पानी निकासी के सभी इंतजाम फेल नजर आने लगते हैं। शहर में कई कई जगह बारिश का पानी ही पानी नजर आने लगाता है। इस दौरान आवागमन करने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ जाता है।
शहर के लितानी रोड, रेलवे रोड, हरियाली बाजार, डाकघर रोड, पुरानी अनाज मंडी, राजेंद्रा काॅलोनी वार्ड नंबर 7 में तो बारिश का पानी दुकानों, मकानों में भर जाता है। अधिक बारिश होने से अनाज मंडी के महाराज अग्रसेन चौक की तरफ का गेट बंद करना पड़ता है। मंडी से वाहन आने-जाने पर पानी की लहरों के चलते दुकानों में पानी घुस जाता था।
नए बस स्टैंड से रेलवे फाटक से आगे तक बने सड़क का लेवल काफी जगह दुकानों से ऊंचा होने के चलते दुकानों में पानी भर जाता है। उचाना कलां की मानव रहित फाटक की जगह बने अंडरपास में पानी भर जाने से वाहन चालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
20 साल से यह समस्या झेल रहे हैं। आज तक तो इसका समाधान हुआ ही नहीं। हर बार चुनाव के समय हम उम्मीदवारों के सामने यह समस्या रखते हैं। सभी प्रत्याशी कहते हैं कि चुनाव जीतने के बाद समस्या का समाधान करा देंगे। -प्यारेलाल।
थोड़ी सी बारिश होते ही पानी गलियों में भर जाता है। काफी दिन तक पानी भरा रहने से दुर्गंध आने लगती है। पानी भरने से मच्छर भी पनपते रहते हैं। जहरीले जीव-जंतुओं का भी भय बना रहता है। हर बार समस्या उठाते हैं, लेकिन समाधान नहीं हो रहा। -शकुंतला देवी।
सभी पार्टियों के लोग वादे तो बहुत करते हैं, लेकिन समाधान कोई नहीं करता। नगरपालिका चेयरमैन ने भी समाधान का वादा किया था। चेयरमैन बने बहुत समय हो गया, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाया। सीवर व्यवस्था जब तक दुरुस्त नहीं होगी, इस समस्या का समाधान नहीं होगा। -राममेहर जैन।
गलियों से निकलना मुश्किल हो जाता है। कई बार तो पानी के अंदर गिरकर बच्चे भी घायल हो चुके हैं। स्कूल जाते समय, खेलने जाते समय बहुत हादसे हो चुके हैं। बच्चों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया। बार-बार कहने के बावजूद समाधान नहीं हो रहा। -महावीर सैनी।
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