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पंप हाउस से झील तक बन रहा ईंटों का रोड, एक अंडरपास, साइफन बनकर तैयार
राजूद्दीन जंग
नगीना। सवा करोड़ रुपये से कोटला झील को चमकाने की कोशिशें हरियाणा सरकार ने तेज कर दी हैं। इसके लिए कोटला पंप हाउस से झील तक ईंटों का स्पेशल रोड बनाने का कार्य तेजी से चल रहा है। पंप के आगे नहर के बीच पाइपों का साइफन बनकर तैयार हो गया है। झील के मुहाने पर एक अंडरपास बन चुका है। पंप हाउस के सामने झील का मुख्य द्वार भी जल्द तैयार होगा। फिलहाल आधा किलोमीटर लंबी ईंटों के रोड पर 35 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इससे पहले, कोटला पंप हाउस से कोटला झील तक नहर की पगडंडी पर कच्चा रास्ता होने से अक्सर बरसात में पैदल निकलना भी मुश्किल हो जाता था। वहां कार और मोटरसाइकिल नहीं पहुंच पाती थी। इसलिए अधिकारी झील तक किसी भी सूरत में नहीं पहुंच पाते थे। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए ईंटों का रोड बनाया जा रहा है।
गांव आकेड़ा की तरफ बरसात के पानी की निकासी के लिए एक अंडरपास झील के सामने बनाया गया है ताकि जलभराव को गांव मेवली कलां की तरफ डाला जा सके। नहर के बीच एक पाइपों से साइफन बनाया गया है, जिससे पानी को दोनों तरफ से कोटला पंप हाउस वाली नहर में डालकर सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जा सके। कोटला पंप हाउस के सामने झील तक जाने वाले रास्ते पर मुख्य द्वार लगाने का उद्देश्य शरारती तत्वों व मवेशियों को झील तक जाने से रोकना है ताकि झील के अंदर भरे पानी से कोई न नहाएं। इन बातों को ध्यान में रखते हुए झीलों की कायापलट का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। माना जा रहा है कि जल्दी प्रदेश के मुख्यमंत्री झील का दौरा कर सकते हैं क्योंकि उन्हें हाल में एक प्रतिनिधिमंडल कोटला झील का दायरा बढ़ाने और झील में भरे बारिश के पानी का आकलन करने के लिए मिला है। झील के आकलन के लिए प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के आदेश पर एक कमेटी बनाई गई थी, जो झील में भरे पानी की वर्तमान स्थिति पर रिपोर्ट देती है। इसकी मांग लंबे समय से चलती आ रही है। सिंचाई विभाग के जूनियर इंजीनियर मुबारिक खान ने बताया कि झील पर अंडरपास व साइफन बनकर तैयार हो गया है। जबकि झील से पंप हाउस तक ईटों का स्पेशल रोड बनाया जा रहा है। जिस पर एक मुख्य द्वार बनेगा और जालीदार गेट भी लगेगा।
नाव पलटने से चार की हुई थी मौत
कोटला झील में सबसे बड़ा हादसा 21 मार्च 2023 को पांच युवक 108 एकड़ में बनी झील के अंदर नाव में सेल्फी ले रहे थे, अचानक संतुलन बिगड़ने से नाव पलट गई। पांच दोस्तों में से चार की पानी में डूबने से मौत हो गई। इसमें तीन गांव आकेड़ा के थे जबकि एक गांव सालाहेड़ी का रहने वाला था। इसके बाद कोटला झील राष्ट्रीय सुर्खियों में आ गई थी। हालांकि झील के लिए कई बार धरने प्रदर्शन जरूर हुए हैं।
नगीना-नूंह के 13 गांवों की झील
इस झील की दक्षिण दिशा में नगीना खंड के दर्जनभर गांव में है, उनमें गांव मुलथान, भूड़बास, महूं, कंसाली, जलालपुर नूंह, खानपुर नूंह, जैताका, अकलीमपुर शामिल हैं। जबकि उत्तर दिशा में नूंह खंड का गांव मेवली कलां, मेवली खुर्द, मोहम्मदपुर है और पूर्व दिशा में आकेड़ा व पश्चिम में गांव कोटला है। कुल मिलाकर नगीना और नूह खंड की एक दर्जन से अधिक गांव कोटला झील में आते हैं। कोटला की अरावली पहाड़ियों का सबसे ज्यादा पानी इस झील में जाता है इसलिए झील को कोटला झील का नाम दिया गया है।
कोटला झील में लापरवाही के कारण चार लड़कों की जान पिछले साल चली गई थी। सरकार चाहती है कि पंप हाउस से कोटला झील तक जाने वाले रास्ते पर एक गेट बनाया जाए, जिसका काम जल्द ही पूरा होगा। तीन अन्य कार्य भी झील पर कराए गए हैं। इन सभी पर करीब सवा करोड़ रुपये का बजट खर्च किया जा रहा है। – अजय देव एसडीओ सिंचाई विभाग नूंह
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Gurugram News: सवा करोड़ रुपये के बजट से चमकेगी जिले की कोटला झील