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फिरोजपुर झिरका में बेलगाम पशु तस्करी पर उठे सवाल, प्रशासन की कार्यशैली कटघरे में
संवाद न्यूज एजेंसी
फिरोजपुर झिरका। फिरोजपुर झिरका क्षेत्र में पशुओं से भरे वाहनों का धड़ल्ले से गुजरना प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा कर रहा है। शहर के आंबेडकर चौक, मुख्य चौराहों से लेकर पुलिस नाकों तक ऐसी कई घटनाएं सामने आ रही हैं, जहां मवेशियों से भरे हुए वाहन बिना किसी रोक-टोक के निकल जाते हैं।
शहरवासियों के अनुसार, पुलिस के नाकों पर तैनात जवान केवल वाहनों की इंट्री कर रहे हैं, लेकिन पशु क्रूरता से भरे इन वाहनों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों का आरोप है कि झिर और मुंडाका नाकों पर पुलिसकर्मियों की ड्यूटी हर 15–20 दिन में बदली जानी चाहिए, जबकि यहां अक्सर राजनीतिक सिफारिशों के आधार पर ही ड्यूटी लगाई जाती है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ट्रकों और पिकअप वाहनों में बड़ी संख्या में जानवरों को ठूंसकर बूचड़खानों तक ले जाया जाता है। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि कई बार जानवर घायल, बीमार और कमजोर हालत में भी लादे हुए पाए जाते हैं, जिससे उनकी तकलीफ और बढ़ जाती है। पशु अधिकार संगठन ‘पीपुल फॉर एनिमल’ (PFA) और ‘बूचड़खाना हटाओ संघर्ष समिति’ के वरिष्ठ सदस्य फजरूद्दीन बेसर ने इस बढ़ती क्रूरता पर गहरी चिंता जताई। सदर थाना प्रभारी सुभाष चंद्र ने आश्वासन दिया कि ऐसे वाहनों को थाना क्षेत्र की सीमा से किसी भी सूरत में नहीं गुजरने दिया जाएगा।
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