Gurugram News: मनरेगा भ्रष्टाचार से गुस्साए ग्रामीणों ने पंचायत कार्यालय का किया घेराव


मनरेगा भ्रष्टाचार से गुस्साए ग्रामीणों ने पंचायत कार्यालय का किया घेराव

एक घंटे तक जमकर की नारेबाजी, पूर्व सरपंच व अधिकारियों पर लगाया करोड़ों रुपए गबन का आरोप

सवांद न्यूज एजेंसी

तावडू। जिले की एक ओर ग्राम पंचायतों से मनरेगा भ्रष्टाचार का जिन्न बाहर आया है। इस बार तावडू खंड की ग्राम पंचायत मोहम्मदपुर अहिर के पूर्व सरपंच पर पंचायत अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। मंगलवार को गुस्साए ग्रामीणों ने पंचायत कार्यालय पर पहुंच कर घेराव किया। उन्होंने लगभग एक घंटे तक पूर्व सरपंच व पंचायत विभाग के अधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

ग्रामीणों का आरोप था कि पूर्व सरपंच और पंचायत विभाग के कर्मचारी, अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपए का मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार का खेल हुआ है। सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई तो नहीं दी गई। विभाग के इस ढुलमुल रवैये से गुस्साए ग्रामीण प्रदर्शन करने पंचायत कार्यालय परिसर पहुंच गए। ग्रामीणों के विरोध प्रदर्शन को भांपते हुए पंचायत अधिकारियों ने पुलिस बुला लिया। सहायक पंचायत अधिकारी राम सिंह ने पुलिस जवानों की मदद से ग्रामीणों को शांत करने का प्रयास किया, लेकिन ग्रामीण बड़े अधिकारी के समक्ष ज्ञापन सौंपने की बात पर अड़ गए। इस दौरान ग्रामीण पंचायत अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। लगभग एक घंटे बाद एसडीएम के निर्देश पर नायब तहसीलदार रणबीर सिंह पंचायत कार्यालय में पहुंचे। उन्हें ग्रामीणों ने मनरेगा भ्रष्टाचार की जांच व कार्रवाई करने की मांग संबंधित ज्ञापन सौंपा।

ग्रामीण हंसराज, गजराज, सेना से रिटायर सूबेदार मेजर राम सिंह, पूर्व चेयरमैन रोहतास, देशराज, प्रदीप, रमेश, विकास यादव, सोनू यादव, मामन राममेहर, सज्जन सिंह, आशु, राजेंद्र, मनीष यादव, भरत सिंह आदि ने बताया कि ग्राम पंचायत में मनरेगा योजना के तहत जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। पूर्व सरपंच मुकेश यादव ने अपने कार्यकाल के दौरान तत्कालीन ग्राम सचिव, पंचायत विकास अधिकारी, मनरेगा, एबीपीओ व कुछ बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर फर्जी तरीके से मनरेगा जॉब कार्ड बनाए। भ्रष्टाचार के तहत राशि हड़पने के उद्देश्य से मृतक व्यक्तियों, विद्यार्थियों, निजी कंपनियों में नौकरी करने वाले व्यक्तियों, पेंशन लेने वाले, किशोर बच्चों, जीएसटी धारक अधिवक्ता सहित बाहरी लोगों के लगभग 200 से अधिक फर्जी जॉब कार्ड बनाए गए। सभी के बैंक खाता ग्राम पंचायत से लगभग 70 किलोमीटर दूर केंद्रीय सहकारी बैंक पुन्हाना, मालब और तावडू में फर्जी तरीके से खोले गए। जबकि हकीकत में ग्रामीणों का इन बैंकों से कोई लेन-देन नहीं है।

ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व सरपंच की पत्नी मौजूदा कार्यकाल में सरपंच चुनी गईं हैं। उनके पति ने गबन को छुपाने के लिए ग्राम फर्जी खातों को बंद करा दिया। जबकि इन फर्जी खातों से राशि पहले ही निकाल ली गई। भ्रष्टाचार से संबंधित पंचायत कार्यालय से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी तो उपलब्ध नहीं कराई गई। ग्रामीणों का आरोप है कि मनरेगा और अन्य विकास कार्यों से संबंधित जानकारी लेने के लिए 18 से 20 बार सूचना के अधिकार के तहत आवेदन किया गया। लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया। बता दें कि जिले में मनरेगा योजना के तहत भ्रष्टाचार का यह कोई पहला मामला नहीं है। जिले की कई ग्राम पंचायतों में इस तरह की शिकायत आने के बाद सरपंच व संबंधित अधिकारियों के खिलाफ मुकदमे भी दर्ज हुए हैं। वही इस बारे में पूर्व सरपंच मुकेश कुमार ने आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि आरोप लगाने वाले उनके विरोधी खेमे के हैं जो अभी तक अपनी हार को नहीं पचा पा रहे हैं। वह निष्पक्ष जांच के लिए तैयार है।

फोटो: नारेबाजी व नायब तहसीलदार को ज्ञापन सौंपते गुस्साए ग्रामीण

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