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गुरुग्राम। जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (जीपीए) के आधार पर एचएसवीपी (हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण) से एससीओ नाम कराने की याचिका को जिला अदालत ने खारिज कर दिया है। अदालत ने एससीओ मालिक की मौत हो जाने पर जीपीए खत्म होने और अपंजीकृत समझौता होने के आधार पर याचिका खारिज की है। यह आदेश सिविल जज विशाल की अदालत ने दिया है।
मृतक चंद्रा रानी चौहान की बेटी सेक्टर-17ए निवासी सुधा परहार ने अदालत में दायर की याचिका में बताया कि रामपाल को सेक्टर-14 में 30 अक्तूबर 1986 में अलॉटमेंट लेटर दिया गया था। उसी साल 10 दिसंबर को एचएसवीपी की तरफ से पजेशन लेटर दिया गया था। नौ अक्तूबर 1990 में उनकी माता चंद्रा रानी की और रामपाल के बीच में तीन लाख रुपये में एससीओ बेचने का समझौता हुआ था।
रामपाल ने उनकी मां के नाम पर जीपीए करा दी थी। वह समय-समय पर एचएसवीपी को शुल्क जमा कराती रही थी। इसके साथ ही एससीओ पर उनका ही कब्जा है और बिजली का बिल भी वह ही जमा कराती है। वर्ष 2005 में रामपाल की मौत हो गई थी। इस मामले में रामपाल के उत्तराधिकारी की तरफ से अदालत में कोई भी पेश नहीं हुआ।
एचएसवीपी की तरफ से अदालत में दलील दी गई थी कि रामपाल की मौत के बाद जीपीए खत्म हो गई थी। वह प्लॉट शुरुआत से ही रामपाल के नाम पर दर्ज है।
चंद्रा रानी की तरफ से एचएसवीपी द्वारा लिए गए सभी शुल्क प्रतिनिधि के तौर पर लिए गए थे न की प्लॉट के हस्तांतरण के तौर पर। इसके साथ ही रामपाल और चंद्रा रानी के बीच हुआ समझौता अपंजीकृत था। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका को खारिज कर दिया गया।
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Gurugram News: जीपीए के आधार पर एचएसवीपी से प्लॉट नाम कराने की याचिका अदालत ने की खारिज