[ad_1]
शब्द लिखते ही अर्थ के कई पर्यायवाची आ जाते हैं सामने
संवाद न्यूज एजेंसी
गुरुग्राम। चैट जीपीटी और एआई के प्रयोग ने हिंदी भाषा की धाक बढ़ाई है। हिंदी न जानने वाले लोग भी अब इनका प्रयोग कर हिंदी शब्दों को सरलता से समझने लगे हैं। मिलेनियम सिटी में अलग-अलग राज्यों, अलग-अलग भाषा बोलने वाले लोग निवास करते हैं। दूसरे राज्यों और अलग भाषा बोलने वाले लोगों के लिए हिंदी भाषा को समझना सरल नहीं हो होता। ऐसे में लोग हिंदी समझने के लिए चैट जीपीटी और एआई का सहारा लेने लगे हैं।
सेक्टर-39 में रहने वाले अवनीश नायक ने बताया कि वह महाराष्ट्र से हैं। महाराष्ट्र में मराठी भाषा का चलन ज्यादा है। ऐसे में हिंदी समझने में थोड़ी दिक्कत होती है। हिंदी के जो शब्द समझ नहीं आते, मैं उन्हें व्हाट्सएप पर मेटा एआई पर अंग्रेजी में लिखकर या बोलकर उसका अर्थ समझ लेता हूं। ऐसे में चैट जीपीटी और एआई ने हिंदी भाषा को लोगों के लिए सरल कर दिया है। चैट जीपीटी और एआई पर हिंदी का एक शब्द डालते ही, उसका साधारण अर्थ सामने आ जाता है।
आज हिंदी दिवस है। हिंदी भाषा के सम्मान में हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर को हिंदी भाषा को राजभाषा का दर्जा मिला था। हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य हिंदी भाषा को बढ़ावा देना, उसे संरक्षित करना है। आज महाविद्यालयों, विद्यालयों आदि में हिंदी दिवस के अवसर पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रमों में विद्यार्थियों को हिंदी बोलने और लिखने के प्रति जागरूक किया जाएगा।
कॉलेजों में हिंदी की पढ़ाई में विद्यार्थियों का अच्छा रुझान
शहर के महाविद्यालयों और विद्यालयों में हिंदी विषय के प्रति विद्यार्थियों का रुझान विगत कुछ साल के दौरान तेजी से बढ़ा है। गुरुग्राम विश्वविद्यालय में एमए हिंदी की 20 सीटें हैं। 2017 में शुरू हुए इस विश्वविद्यालय के शुरुआती शैक्षणिक सत्र में हिंदी विषय की कुछ सीटें खाली रह जाती थीं। बीते चार साल की बात की जाए तो अब स्थिति इसके ठीक उलट है। हिंदी भाषा की सभी सीटें अब पहली ही मेरिट में फुल हो जाती हैं। इसी प्रकार सेक्टर-14 स्थित राजकीय महाविद्यालय में बीए और एमए हिंदी कोर्स की 60 सीटें हैं। साथ ही द्रोणाचार्य कॉलेज में एमए हिंदी कोर्स की 60 सीटें है। जानकारी के मुताबिक इस साल भी विश्वविद्यालय, महाविद्यालयों में हिंदी कोर्स की सभी सीटें भर गई हैं। सेक्टर-14 स्थित राजकीय कॉलेज के हिंदी विभाग के प्रोफेसर अमितेश ने बताया कि हिंदी की तरफ विद्यार्थियों का रुझान अच्छा है। पिछले दो वर्षों से हिंदी की सभी सीटें भर रही हैं।
बातचीत
हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है। चैट जीपीटी और एआई ने हिंदी को सरल कर दिया है। आज हमें किसी भी भाषा में कुछ समझ नहीं आता तो हम चैट जीपीटी का सहारा लेने लगे हैं। हिंदी के साथ भी ऐसा ही है। हिंदी में कई ऐसे जटिल शब्द हैं जो आसानी से समझ नहीं आते। ऐसे में हम चैट जीपीटी का सहारा लेकर शब्द का अर्थ समझ जाते हैं। – डॉ. कुसुमलता, जिला उच्च शिक्षा अधिकारी।
हिंदी की तरफ विद्यार्थियों का रुझान हमेशा से ही अच्छा रहा है। आमतौर पर ऐसा समझा जाता है कि हिंदी का गहन अध्ययन कौन करेगा परंतु ऐसा नहीं है। विद्यार्थी हिंदी भाषा कोर्स का चयन करते हैं और पढ़ाई भी करते हैं। – अमितेश, प्रोफेसर, हिंदी विषय।
[ad_2]
Gurugram News: चैट जीपीटी और एआई ने हिंदी भाषा को किया सरल