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नई दिल्ली1 घंटे पहले
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2025 में अब तक विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार से टोटल 1.3 लाख करोड़ रुपए निकाले हैं।
अगस्त 2025 में फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPI) ने भारतीय शेयर बाजार से करीब 35 हजार करोड़ रुपए (लगभग 4 बिलियन डॉलर यानी 34,993 करोड़ रुपए) निकाल लिए। यह पिछले छह महीनों में सबसे बड़ी बिकवाली है। इससे पहले फरवरी में FPI ने ₹34,574 करोड़ की बिकवाली की थी।
बाजार एनालिस्टों का कहना है कि इसकी वजह अमेरिका के भारतीय एक्सपोर्ट पर लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ और भारत में शेयरों की ऊंची कीमतें हैं। जुलाई में FPI ने 17,741 करोड़ रुपए निकाले थे, यानी अगस्त की बिकवाली उससे लगभग दोगुनी रही। डिपॉजिटरी डेटा के अनुसार, 2025 में अब तक विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार से टोटल 1.3 लाख करोड़ रुपए निकाल लिए हैं।
शुक्रवार को FPI सेलर्स बने रहे
बीते हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार को भी फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स नेट सेलर्स बने रहे। NSE के डेटा के अनुसार, 29 अगस्त को FPI ने 8,312.66 करोड़ रुपए के शेयर्स बेचे हैं। ट्रेडिंग सेशन के दौरान, FII ने 9,679.99 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे और 17,992.65 करोड़ रुपए के शेयर बेचे थे।
वहीं DII ने 11,487.64 करोड़ रुपए के शेयर्स खरीदे हैं। ट्रेडिंग सेशन के दौरान, DIIs ने 20,676.78 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे और 9,189.14 करोड़ रुपए के शेयर बेचे थे।

क्यों हो रही इतनी बिकवाली?
मॉर्निंगस्टार इनवेस्टमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव के मुताबिक, ‘अमेरिका ने भारतीय एक्सपोर्ट पर 50% तक टैरिफ लगा दिया, जिससे निवेशकों का भरोसा डगमगा गया। इससे भारत के बिजनेस कॉम्पिटिशन और इकोनॉमिक ग्रोथ की संभावनाओं पर सवाल उठ रहे हैं।’
हिमांशु ने आगे बताया कि जून तिमाही में कुछ प्रमुख सेक्टरों की कॉरपोरेट कमाई उम्मीदों से कम रही, जिसने निवेशकों का उत्साह और ठंडा कर दिया।
वहीं जियोजित इनवेस्टमेंट्स के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी.के. विजयकुमार का कहना है कि भारत में शेयरों की कीमतें अन्य बाजारों की तुलना में काफी ऊंची हैं। इस वजह से विदेशी निवेशक अपना पैसा सस्ते बाजारों में ले जा रहे हैं।
प्राइमरी मार्केट में निवेश जारी
हालांकि, FPI ने शेयर बाजार में बिकवाली के बावजूद प्राइमरी मार्केट (आईपीओ) में खरीदारी जारी रखी। इस साल अब तक उन्होंने IPO के जरिए 40,305 करोड़ रुपए का निवेश किया है, क्योंकि वहां कीमतें उन्हें ठीक लगती हैं। वहीं FPI ने अगस्त में डेट जनरल लिमिट में 6,766 करोड़ रुपए का निवेश किया, लेकिन डेट वॉलंटरी रिटेंशन रूट से 872 करोड़ रुपए निकाल लिए।
बाजार पर असर और भविष्य
अमेरिकी टैरिफ और ऊंची कीमतों की वजह से निफ्टी 50 और बीएसई सेंसेक्स में अगस्त में 1.4% और 1.7% की गिरावट आई। रुपए की कीमत भी रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई, जो 88 प्रति डॉलर से नीचे चला गया। हालांकि, डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (DII) और म्यूचुअल फंड्स के जरिए रिटेल निवेशकों ने बाजार को संभाला।
DII ने अगस्त में 7060 करोड़ रुपए की खरीदारी की। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर बातचीत पॉजिटिव रही, तो यह बिकवाली अस्थायी हो सकती है। लंबे समय में भारत की मजबूत इकोनॉमिक ग्रोथ (6.5% GDP ग्रोथ) और डोमेस्टिक डिमांड निवेशकों को आकर्षित कर सकती है।
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Source: https://www.bhaskar.com/business/news/fpis-withdraw-35000-crore-in-august-it-is-the-biggest-selloff-in-6-months-135804848.html