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Fatehabad News: 57 साल में फतेहाबाद सीट से 42 निर्दलीय लड़े, जीत पाए सिर्फ प्रहलाद गिल्लाखेड़ा Haryana Circle News

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In 57 years, 42 independents contested from Fatehabad seat, only Prahlad Gillakheda could win.

प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा।

फतेहाबाद। फतेहाबाद विधानसभा सीट के पिछले 57 साल के इतिहास में 42 निर्दलीय उम्मीदवारों ने विधायक बनने के लिए अपनी किस्मत अजमाई है। मगर किस्मत के धनी सिर्फ प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा रहे हैं। साल 1967 से लेकर 2019 तक हुए 13 आम चुनावों में सिर्फ एक बार ही निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर प्रहलाद सिंह को ही फतेहाबाद सीट से जीत मिल पाई है। बाकी उम्मीदवारों ने टक्कर दी, लेकिन दूसरे, तीसरे या इससे नीचे के स्थानों पर ही रहे हैं।

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दरअसल, साल 2009 के चुनाव में प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा, सतबीर सिंह और महाराणा प्रताप ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। इस चुनाव में कांग्रेस की ओर से दुड़ाराम, इनेलो (इंडियन नेशनल लोकदल) से स्वतंत्र बाला चौधरी, हजकां (हरियाणा जनहित कांग्रेस) से रण सिंह बैनीवाल, सीपीआईएम से कामरेड रामस्वरूप, बीजेपी से भीष्म पितामह व समस्त भारतीय पार्टी से नरेंद्र कुमार भी मैदान में उतरे थे।

इस चुनाव में प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा ने 32.87 फीसदी 48,637 वोट लेकर जीत हासिल की थी। 45,835 वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे दुड़ाराम को प्रहलाद सिंह ने 2802 वोटों से हराया था। जीतकर गिल्लाखेड़ा ने तत्कालीन भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार को समर्थन दिया और बाद में मुख्य संसदीय सचिव बने। संवाद

साल 1968 में पोखरराम के सामने निर्दलीय उतरे थे चौधरी लीलाकृष्ण

सरकारी आंकड़ों के अनुसार साल 1967 में एमराम और बी सिंह निर्दलीय लड़े। इनमें एमराम 9960 वोट लेकर दूसरे नंबर और बी सिंह 8422 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे। साल 1968 में कांग्रेस के पोखरराम के सामने निर्दलीय लड़े चौधरी लीलाकृष्ण 17,963 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे। साल 1972 में पोखरराम के सामने गोबिंद राय बतरा और रतन सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। गोबिंद राय बतरा 23,366 वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे। साल 1977 में छह निर्दलीय उतरे। इनमें चौधरी लीलाकृष्ण, हरमिंदर सिंह, पृथ्वी सिंह गोरखपुरिया, टेकचंद, उदमीराम व मनरूप शामिल रहे। चौधरी लीलाकृष्ण दूसरे नंबर पर रहे। साल 1982 में निर्दलीयों की संख्या और बढ़ गई। इस बार आठ निर्दलीय लड़े। इनमें हरफूल सिंह, मनीराम छापोला, टेकचंद, नरोत्तम कुमार, मनरूप, राम रिछपाल, हंसराज व राम सिंह शामिल रहे। इनमें से हरफूल सिंह 5990 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे। साल 1987 में पांच निर्दलीय मुख्त्यार सिंह सदर, काकाराम, अमर सिंह, मदनलाल व प्रताप सिंह मैदान में उतरें। मुख्त्यार सिंह सदर 2495 वोट लेकर चौथे स्थान पर रहे। इस चुनाव में बीजेपी के बलबीर चौधरी जीते थे। फिर साल 1991 में चार निर्दलीयों ने भाग्य आजमाया। इनमें रणजीत सिंह, जोगिंद्र सिंह, शामलाल राठी व मोहिंदर कुमार शामिल रहे। इनमें से रणजीत सिंह 5108 वोट लेकर चौथे स्थान पर रहे। साल 1996 में पांच निर्दलीयों राम राज, महेंद्र सिंह, मुख्त्यार सिंह सदर, राजकुमार, पूर्णचंद थे। रामराज 8766 वोट पाकर चौथे नंबर पर रहे।

साल 2019 के चुनाव में एक भी निर्दलीय नहीं उतरा

इसी तरह साल 2000 में चार प्रेम चंद, रामगोपाल, मुरारी लाल व भगवानदास निर्दलीय लड़े। इनमें से प्रेम चंद 2,666 वोट लेकर चौथे स्थान पर रहे। 2005 में एकमात्र विष्णुदत्त निर्दलीय लड़े। वह 941 वोट लेकर छठे स्थान पर रहे। साल 2009 में प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा, सतबीर सिंह और महाराणा प्रताप ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। इसमें गिल्लाखेड़ा विजयी हुए थे। साल 2014 में दो निर्दलीय उम्मीदवार दरबारा सिंह व अंगद ढिंगसरा चुनाव लड़े। दरबारा सिंह 1351 वोट लेकर सातवें और अंगद ढिंगसरा 1298 वोट पाकर आठवें नंबर पर रहे थे। हालांकि, दोनों ने सीपीआईएम के मोहनलाल नारंग के 1199 और बीएसपी के डॉ. सुशील इंदौरा के 996 वोटों से ज्यादा वोट लिए थे। विशेष बात यह है कि साल 2019 के विधानसभा चुनाव में एक भी निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में नहीं उतरा।

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