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फतेहाबाद। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद जिले की राजनीतिक हवा पूरी तरह बदली हुई है। पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार कांग्रेसी खेमा उत्साह से लबरेज है। लोकसभा चुनाव के दौरान फतेहाबाद की तीनों विधानसभा सीटों पर कुमारी सैलजा ने 1,07,384 वोटों से जीत हासिल की थी। इससे इस बार जिले में कांग्रेस से टिकट के दावेदार भी अधिक हैं।
लोकसभा चुनाव में जजपा और इनेलो दोनों का बेहद निराशाजनक प्रदर्शन रहा। इस कारण अभी तक इन दोनों पार्टियों से कोई दावेदारी तक नहीं जता रहा है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कुमारी सैलजा को फतेहाबाद जिले से 2,89,776 और भाजपा प्रत्याशी अशोक तंवर को 1,82,392 वोट मिले थे। इनेलो प्रत्याशी संदीप लोट को 12,573 और जजपा प्रत्याशी रमेश खटक को मात्र 3374 वोट ही मिले थे।
यह है फतेहाबाद हलके की स्थिति
फतेहाबाद हलके में मौजूदा विधायक दुड़ाराम को अपनी ही पार्टी के दावेदारों से कड़ी चुनौती मिल रही है। दुड़ाराम की जगह इस बार टिकट पाने के लिए भाजपा के एक चेयरमैन, दो पदाधिकारियों ने तो बड़े स्तर पर जनसंपर्क अभियान भी छेड़ा हुआ है। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस की तरफ से 19 दावेदारों ने अपना आवेदन प्रदेश कमेटी के समक्ष कर दिया है। इनमें से 10 दावेदारों ने अलग-अलग जनसंपर्क अभियान शुरू किया हुआ है। आए दिन कोई जनसभा तो कोई पैदल मार्च निकाल रहा है।
टोहाना में बबली दे रहे सबको चुनौती
जिले में सबसे बड़े सियासी गढ़ टोहाना की राजनीति पूर्व पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली के इर्द-गिर्द घूम रही है। शनिवार को ही जजपा छोड़ने का ऐलान करने वाले बबली के कांग्रेस में शामिल होने के कयास हैं। अगर वह कांग्रेस में शामिल होते हैं और पार्टी उन्हें टोहाना की टिकट देती है, तो पूरी तरह समीकरण बदले नजर आएंगे। हालांकि, टोहाना से भी कांग्रेस की टिकट के लिए 21 नेता आवेदन कर चुके हैं। इन नेताओं में बबली का नाम नहीं है। उधर, भाजपा के पास टोहाना में बड़े लीडर के रूप में सिर्फ सुभाष बराला है। मगर वह राज्यसभा सांसद बन चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस को कड़ी टक्कर देने के लिए भाजपा को मजबूत उम्मीदवार तलाशना पड़ेगा।
रतिया में भी भाजपा में ही कई दावेदार
साल 2009 में बनी जिले की रतिया विधानसभा सीट अनुसूचित जाति वर्ग के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है। यहां पर भाजपा से मौजूदा विधायक लक्ष्मण नापा को भी पार्टी के लिए कई दावेदारों से चुनौती मिल रही है। यहां से टिकट के दावेदारों में विधायक लक्ष्मण नापा के अलावा पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल, एससी आयोग के चेयरमैन प्रो. रविंद्र बलियाला और पूर्व एडीजीपी श्रीकांत जाधव का नाम चर्चाओं में हैं। रतिया से कांग्रेस की टिकट के लिए भी सबसे अधिक 38 दावेदारों ने आवेदन किया हुआ है। रतिया में किसान आंदोलन का मुद्दा सबसे अधिक हावी रहा है। लोकसभा चुनाव में भी किसानों के विरोध ने राजनीतिक समीकरण बदल डाले थे। 2009 में यहां से इनेलो के ज्ञानचंद ओड विधायक बने थे। मगर उनके निधन के बाद यहां उपचुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस के जरनैल सिंह विधायक बने। इसके बाद साल 2014 में इनेलो से ही प्रो. रविंद्र बलियाला और फिर 2019 में भाजपा से लक्ष्मण नापा विधायक बने। अब रविंद्र बलियाला भी भाजपा में हैं।
भाजपा सरकार ने बिना किसी भेदभाव के हर विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य करवाए हैं। रतिया में भी करोड़ों रुपये से विकास कार्य हुए हैं। निश्चित रूप से रतिया क्षेत्र की जनता दूसरी बार भाजपा को जिताएगी।
-लक्ष्मण नापा, विधायक, रतिया
फतेहाबाद हलके को भाजपा सरकार में कई बड़े प्रोजेक्ट्स मिले हैं। जिला मुख्यालय को राजकीय महाविद्यालय मिला है। सड़क से लेकर बिजलीघर तक कई विकास कार्य हुए हैं। इस विकास की गति को जारी रखने के लिए जनता भाजपा को इस बार भी यहां से जिताएगी।
-दुड़ाराम, विधायक, फतेहाबाद
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