रतिया विधायक लक्ष्मण नापा
रतिया। भाजपा की ओर से इस बार रतिया से उम्मीदवार नहीं बनाने से खफा लक्ष्मण नापा पार्टी को अलविदा कर गए हैं। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में फिर से कांग्रेस में आस्था जताई है। लक्ष्मण नापा के जाने से भाजपा को रतिया क्षेत्र में नुकसान झेलना पड़ सकता है।
रतिया सीट पर ओड समाज के 20 हजार से अधिक वोट हैं, जिसके खिसकने की आशंका रहेगी। लक्ष्मण नापा अकेले पार्टी से नहीं गए हैं, उनके साथ सरपंच एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविंद सिहाग सहित करीब 20 मौजूदा सरपंच, नागपुर ब्लॉक समिति अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, व्यापार मंडल अध्यक्ष रूप गर्ग, अग्रवाल सभा के अध्यक्ष प्रमोद बंसल सहित कई व्यापारियों ने भी भाजपा छोड़ दी है। नापा ने मुख्यमंत्री नायब सैनी पर भी विश्वासघात के आरोप लगाए हैं।
बता दें कि साल 2019 में पहली बार भाजपा रतिया सीट पर जीती थी। यहां पहली बार कमल खिलाने में एडवोकेट लक्ष्मण नापा ही सफल रहे थे। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी जरनैल सिंह को 1,216 वोटों से हराकर पहली बार विधानसभा की सीढि़यां चढ़ने का काम किया था। संवाद
2006 में हुड्डा के नेतृत्व में ही हुए थे कांग्रेस में शामिल
लक्ष्मण नापा ने साल 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई में कांग्रेस में शामिल होकर अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। हालांकि, बाद में नापा इनेलो में शामिल हो गए। मगर टिकट नहीं मिलने के कारण 2013 में भाजपा में शामिल हो गए। साल 2014 में भी वह भाजपा की टिकट के प्रबल दावेदार थे पर उस समय उन्हें टिकट नहीं मिला। तब कुछ दिन पहले ही सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आई सुनीता दुग्गल को टिकट थमा दी गई थी। मगर तब नापा ने पार्टी नहीं छोड़ी, जिसके इनाम के तौर पर 2019 में भाजपा ने टिकट दी और लक्ष्मण नापा पहली बार विधायक चुने गए।
70 फीसदी ओड समाज नापा से जुड़ा रहा
रतिया विधानसभा सीट में ओड समाज के 20,000 से अधिक वोटों में से 70 फीसदी सीधे तौर पर लक्ष्मण नापा से जुड़े रहे हैं। ओड समाज की यह विशेषता रही है कि जिस भी पार्टी ने उनके समाज को टिकट दी है, उन्होंने एकजुट होकर अपने समाज के व्यक्ति को वोट दिया है। इससे पूर्व 2004 और 2009 में इनेलो ने ज्ञानचंद ओड को उम्मीदवार बनाया और दोनों बार ही समाज की एकजुटता के चलते ज्ञानचंद विधायक बने। 2019 में भाजपा ने क्षेत्र में ओड समाज के वोट बैंक को देखते हुए ही लक्ष्मण नापा को उम्मीदवार बनाया तथा क्षेत्र में तीसरी बार ओड समाज का विधायक बना।
दुग्गल को खुश करने के लिए मेरी टिकट काट दी, इसलिए मैंने घर वापसी की : नापा
लक्ष्मण नापा ने पार्टी छोड़ते ही कांग्रेस में शामिल होने का फैसला कर लिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस से ही राजनीति की शुरू की थी और अब घर वापसी की है। बिना शर्त पार्टी में शामिल हुए हैं और पार्टी जिसे भी टिकट देगी, उसका सहयोग करेंगे। कांग्रेस मुझे उम्मीदवार बनाएगी तो रतिया सीट जीतकर कांग्रेस की झोली में डालेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा ने सुनीता दुग्गल को खुश करने के लिए मेरी टिकट काटी है। इससे ओड समाज, क्षेत्र के व्यापारियों और सरपंचों में काफी रोष है। मैंने अपने कार्यकाल में करीब 2200 करोड़ रुपये से रतिया क्षेत्र में विकास कार्य करवाए हैं। भाजपा ने सुनीता दुग्गल के खिलाफ माहौल के चलते ही लोकसभा में उसकी टिकट काटी थी, लेकिन चंद दिनों में ऐसा क्या हुआ कि उन्हें रतिया विधानसभा सीट से टिकट दे दी गई।
मेरी भी टिकट कटी थी, लेकिन मैंने पार्टी नहीं छोड़ी। मैं अभी भी उनसे आग्रह करूंगी कि जिस संगठन से उनकी पहचान बनी है, उसे ना छोड़ें। इधर-उधर कुछ नहीं रखा है। भटक कर बाद में आएंगे। इससे अच्छा है, कि अभी आ जाएं। उन्हें पूरा मान-सम्मान दिया जाएगा। किसी व्यक्ति विशेष के जाने से संगठन नहीं हिलता है। भाजपा दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है।
सुनीता दुग्गल, रतिया से भाजपा उम्मीदवार