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फतेहाबाद। फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र के चुनाव में जातिगत समीकरण बिगाड़ने में आम आदमी पार्टी (आप) और जननायक जनता पार्टी (जजपा) अहम भूमिका निभाएंगी। कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो), जजपा और आप ने जाट समाज से प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं।
वहीं, दूसरी तरफ भाजपा के प्रत्याशी दुड़ाराम बिश्नोई समाज से हैं। ऐसे में जाट समाज के वोटों के बंटने के आसार रहेंगे। खासकर, भट्टू बेल्ट में इसका बड़ा असर दिखेगा क्योंकि आप और जजपा दोनों के उम्मीदवार भट्टू क्षेत्र से हैं। इसका सबसे बड़े दलों में से कांग्रेस को नुकसान और भाजपा को फायदा मिलने की संभावना रहेगी।
फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 2,58,065 हैं। इनमें से एक लाख से ज्यादा मतदाता जाट समाज से हैं। 40 से 50 हजार अनुसूचित जाति वर्ग, 22 से 25 हजार बिश्नोई, 25 से 30 हजार पंजाबी समाज के मतदाता हैं।
अकेले भट्टू क्षेत्र में हैं 75,000 मतदाता
भट्टू पहले विधानसभा क्षेत्र था। बाद में नए परिसीमन में इसे फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र में ही शामिल कर दिया गया। भट्टू खंड में कुल 24 गांव हैं, जिनमें से 22 गांव फतेहाबाद हलके में आते हैं। अकेले भट्टू क्षेत्र में ही 75,000 मतदाता हैं। इनमें से 52,000 जाट समाज के हैं। यही कारण है कि फतेहाबाद की राजनीति में भट्टू क्षेत्र की अहम भूमिका रहती है। जजपा और आजाद समाज पार्टी (आसपा) के संयुक्त उम्मीदवार सुभाष गोरछिया भट्टू खंड के बड़े गांव पीलीमंदोरी के निवासी हैं। इसी तरह आप के उम्मीदवार कमल बिसला भी भट्टू खंड के ही गांव ठूइयां के निवासी हैं। स्थानीय होने के कारण भट्टू क्षेत्र के मतदाताओं का रुझान इन दोनों उम्मीदवारों के प्रति भी नरम रहने की संभावना है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इन दोनों दलों के उम्मीदवार फतेहाबाद शहर या भूना क्षेत्र से होते तो भट्टू क्षेत्र का मतदाता खासकर, जाट मतदाता विभाजित नहीं होता और उसका फायदा कांग्रेस को हो सकता था।
इनेलो से भी जुड़ा रहा है जाट वोट बैंक
फतेहाबाद हलके में इनेलो का भी अच्छा प्रभाव रहा है। जाट वोट बैंक में इनेलो की पहले मजबूत पकड़ रही है। हालांकि, अब इनेलो और जजपा के अलग होने से वोट बैंक भी बंट गया है लेकिन इस बार चौटाला परिवार से ही प्रत्याशी होने के कारण सुनैना चौटाला भी कड़ी टक्कर देंगी। खासकर, वह एकमात्र महिला उम्मीदवार हैं। इससे महिलाओं के वोट बैंक में भी वह सेंध लगाएंगी। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर इनेलो का पुराना वोट बैंक एकजुट हो जाए तो सुनैना जीत की दहलीज तक भी पहुंच सकती हैं।
एससी वाेट बैंक भी आसपा और बसपा में बंटेगा
अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाताओं में भी बिखराव होगा। आसपा का जजपा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का इनेलो के साथ गठबंधन है। ऐसे में बसपा का मूल वोट बैंक इनेलो के साथ जाएगा जबकि आसपा के समर्थक जजपा के साथ जाएंगे।
प्रमुख दलों में भाजपा के दुड़ाराम अकेले गैर जाट उम्मीदवार
विशेष बात यह है कि सभी प्रमुख दलों के प्रत्याशियों में दुड़ाराम एकमात्र गैर जाट उम्मीदवार हैं। दुड़ाराम के अपने बिश्नोई समाज के भी करीब 30,000 वोट हैं। पंजाबी समाज और ओबीसी वर्ग के बड़े हिस्से का लाभ भी भाजपा प्रत्याशी को हो सकता है। ऐसे में जाट वोट बैंक बंटने का सर्वाधिक लाभ भाजपा को ही होगा।
निश्चित रूप से चार प्रमुख दलों के प्रत्याशी जाट समाज से होने के कारण जाट वोट बैंक के बंटने की पूरी संभावना रहेगी। बड़े दलों में इसका सीधा फायदा भाजपा को और नुकसान कांग्रेस को होगा। भट्टू क्षेत्र से दो प्रत्याशी होने से यहां भी बड़ा असर पड़ेगा। – अर्जुन सिंह, राजनीतिक विशेषज्ञ, फतेहाबाद।
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