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फतेहाबाद/भट़्टू कलां। फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र के सबसे बड़े गांव भट्टू कलां के स्टेडियम में खेल सुविधाओं की तो कमी है हि, देखरेख के अभाव में मैदान की हालत भी खस्ता है। हालांकि मैदान को कुछ हद तक यहां खेलने या सेना में भर्ती के लिए तैयारी करने वाले युवाओं ने ठीक किया है।
स्टेडियम में कोई कोच भी नहीं है। इस कारण खेलों का अभ्यास भी युवाओं को अपने स्तर पर ही करना पड़ता है। अग्निवीर योजना लागू होने से पहले यहां रोजाना 150 से 200 युवा सेना में भर्ती होने के लिए तैयार करते थे। मगर अब अधिकतर युवाओं का रुझान इसमें भी कम हो गया है। फिर भी सुबह-शाम स्टेडियम में कई युवा आते हैं। इन युवाओं को सुविधाओं के अभाव से दो-चार होना पड़ता है।
बदहाल है शौचालय
स्टेडियम में आने वाले युवा कृष्ण कुमार, नरेश कुमार, रविंद्र कुमार, दीपक आदि ने बताया कि स्टेडियम में पहले युवाओं ने अपने स्तर पर अच्छा ट्रैक बनाया था। मगर अब इसमें भी सुधार की जरूरत है। खेल विभाग का स्टेडियम के हालात सुधारने पर कोई ध्यान नहीं है। यहां बास्केटबाल का मैदान बना हुआ है। मगर उसमें बॉल डालने वाला हिस्सा ही टूटा हुआ है। इसी तरह शौचालय भी देखरेख के अभाव में बदहाल हो चुके हैं। शौचालय के चारों ओर घास उगी हुई है। अंदर टोंटी नहीं और निजता के लिए दरवाजे नहीं हैं।
खेल स्टेडियम में सुविधाओं की काफी कमी है। मैदान व ट्रैक भी युवा अपने स्तर पर तैयार करते हैं। अगर स्टेडियम की बेहतर तरीके से संभाल हो तो युवाओं का खेलों में रुझान बढ़ेगा। युवाओं को नशे से बचाने के लिए खेल ही एकमात्र सहारा है। इस तरफ प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।
-सुरेंद्र सांई, पूर्व सैनिक एवं आर्मी फिजिकल ट्रेनर
:: खेल स्टेडियम में बने शौचालय बदहाल हो चुके हैं। शौचालयों के आसपास काफी घास उगी हुई है। अगर स्टेडियम में कुछ सुधार किया जाए तो युवाओं को काफी फायदा मिलेगा। स्टेडियम को बने हुए भी काफी साल हो गए हैं। इसलिए अब इसमें काफी सुधार की जरूरत है।
-प्रमोद घोटड़, योग शिक्षक
खेल विभाग ने स्टेडियम की कभी सुध ही नहीं ली है। स्टेडियम के नाम पर चहारदीवारी और भवन बनाना ही काफी नहीं है। यहां कोच भी होना चाहिए, जिससे युवा खेलों का प्रशिक्षण ले सकें। खेल विभाग को इस बारे में गंभीरता दिखानी चाहिए। ताकि युवाओं को इसका लाभ मिले।
-कृष्ण कुमार, युवा
खेल स्टेडियम में काफी युवा अभ्यास करने आते हैं। मगर यहां पर पानी-शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं ही नहीं है और न ही कोई कोच है। स्टेडियम को बनाने के बाद इसकी संभाल के नाम पर कोई सुध नहीं ली गई है। क्षेत्र के पूर्व सैनिक ही युवाओं को अभ्यास करवाते रहे हैं।
-सुगम राठौर, युवा
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