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अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा·के पदाधिकारी व सदस्य उपायुक्त को ज्ञापन देते हुए – फोटो : 1
फतेहाबाद। सरकार के द्वारा नीलगायों को मारने की अनुमति देने के निर्णय को लेकर बिश्नोई समाज में रोष है। अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा के द्वारा सोमवार को डीसी को मुख्यमंत्री के नाम मांग पत्र सौंपा गया। अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा ने सरकार के इस निर्णय का विरोध किया है। बिश्नोई समाज का कहना है कि सर्व समाज इस निर्णय के खिलाफ है और अगर सरकार के द्वारा नीलगायों को मारने का परमिट देने का निर्णय वापिस नहीं लिया गया तो वह धरना-प्रदर्शन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
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अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा के जिला प्रधान राधेश्याम ने बताया कि सर्व समाज सरकार के इस निर्णय का विरोध कर रहा है। किसानों की फसल की रक्षा के नाम पर सरकार के द्वारा नीलगायों को मारने का परमिट देने का निर्णय लिया गया है, जो कि सरासर गलत है। किसानों के द्वारा सरकार से कभी भी यह मांग नहीं की गई कि नीलगायों को मारा जाए या किसी भी जीव को मारा जाए। इसलिए बिश्नोई समाज सरकार से निवेदन करता है कि वह इस निर्णय को वापस ले, नहीं तो बिश्नोई समाज आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेगा।
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सुझाव पर नहीं दिया गया ध्यान
उपायुक्त को ज्ञापन देने के आए पदाधिकारियों ने कहा कि सभा के प्रतिनिधियों ने 17 दिसंबर 2024 को मुख्य वन्य अधिकारी और 4 जनवरी 2025 को वन मंत्री से मिलकर नीलगायों की समस्या के मामले में विशेष योजना बनाकर अन्य राज्यों के जंगलों में विस्थापित करने या विशेषज्ञों से राय लेकर नसबंदी करने तथा प्रभावित किसानों को मुआवजा देने जैसी नीति पर विचार करने के सुझाव दिए थे। लेकिन फिर भी सरकार ने ऐसा आदेश जारी कर दिया है। जिससे पूरे सर्वसमाज में रोष है। सरकार वन्य प्राणी संरक्षण कानून 1972 की धाराओं में बदलाव करते हुए नीलगायों को मारने के परमिट की अनुमति पर रोक लगाई जाए और वन्य जीव प्रेमियों और बिश्नोई समाज के प्रतिनिधिमंडल को समय देकर अन्य विकल्पों पर विचार-विमर्श करें।
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ये रहे मौजूद
उपायुक्त को ज्ञापन देने के दौरान सभा के महासचिव विनोद काकड़, अनिल सिहाग पूर्व प्रधान, पूर्ण कालीरावण, एडवोकेट समीर सिहाग, एडवोकेट विष्णु दत्त मांझू, एडवोकेट बिंद्र मांझू, शिवकुमार भादू, आत्माराम सहारण, रामचंद्र डेलू आदि मौजूद रहे।