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Fatehabad News: नींद की कमी, तनाव और चिंता से जूझ रहे मरीजों की संख्या बढ़ी Haryana Circle News

Fatehabad News: नींद की कमी, तनाव और चिंता से जूझ रहे मरीजों की संख्या बढ़ी  Haryana Circle News

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फतेहाबाद। मानसिक तनाव, नींद की कमी और चिड़चिड़ेपन जैसे लक्षणों से जूझ रहे मरीजों की संख्या जिले में लगातार बढ़ रही है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में इस साल के पहले दो तिमाहियों में चिंताजनक बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

पहली तिमाही के आंकड़ों के अनुसार, अस्पताल की ओपीडी में कुल 3080 मरीज पहुंचे। इनमें से 2086 मामले सामान्य मानसिक विकारों (अवसाद, चिंता, और पैनिक डिसऑर्डर) के रहे। डिप्रेशन के 1470 और एंग्जायटी या पैनिक डिसऑर्डर के 602 मरीज उपचार लेने के लिए आए। इतना ही नहीं, गंभीर मानसिक विकारों जैसे स्किजोफ्रेनिया और बाइपोलर डिसऑर्डर के भी 59 मामले सामने आए हैं। इनमें खास बात यह है कि कई मरीज शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करते हुए तब अस्पताल पहुंचते हैं जब समस्या गंभीर रूप ले चुकी होती है।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार दूसरी तिमाही में भी हालात बेहतर नहीं हुए। अप्रैल से जून के बीच 3742 मरीज ओपीडी में आए। इनमें से 2344 मरीज सामान्य मानसिक विकारों से पीड़ित थे। अवसाद के 1362 और एंग्जायटी के 982 मरीज दर्ज किए गए। वहीं, गंभीर मानसिक विकारों की श्रेणी में स्किजोफ्रेनिया के 44 और बाइपोलर डिसऑर्डर के 86 मरीज सामने आए।

इसके अलावा एपिलेप्सी (मिर्गी) से पीड़ित मरीजों की संख्या भी 91 से 85 के करीब बनी रही। डिमेंशिया (याददाश्त से जुड़ी बीमारी) के 16 और फिर 85 मामलों ने बुजुर्गों में मानसिक स्वास्थ्य की गिरावट पर चिंता बढ़ाई है। संवाद


आत्महत्या के बारे में सोचने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ी

सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि सुसाइडल टेंडेंसी यानी आत्महत्या की प्रवृत्ति वाले मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी दर्ज हुई है। पहली तिमाही में 34 और दूसरी तिमाही में 37 मामले सामने आए हैं।


मानसिक स्वास्थ्य उतना ही जरूरी है जितना शारीरिक

स्वास्थ्य विभाग के मनोराेग विशेषज्ञ डॉ. गिरीश का कहना था कि अधिकतर मरीज तनाव, बेरोजगारी, पारिवारिक कलह, नशे की लत और असंतुलित जीवनशैली के कारण मानसिक परेशानी झेल रहे हैं। विभाग की ओर से काउंसिलिंग सत्र, मानसिक स्वास्थ्य शिविर और जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, ताकि लोग समय पर उपचार ले सकें। मानसिक स्वास्थ्य उतना ही जरूरी है जितना शारीरिक स्वास्थ्य। समय रहते इलाज शुरू करने से अवसाद और चिड़चिड़ापन जैसी दिक्कतों पर आसानी से नियंत्रण पाया जा सकता है। जरूरी है कि लोग न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी अपनी सेहत पर ध्यान दें और जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञ की सलाह लेने में संकोच न करें।

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