{“_id”:”677c1993b40668ac820f5792″,”slug”:”guru-gobind-singh-did-not-express-sorrow-even-after-sacrificing-his-family-for-the-country-and-religion-kulwinder-singh-fatehabad-news-c-127-1-ftb1003-127478-2025-01-06″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”Fatehabad News: देश और धर्म के लिए परिवार बलिदान करने पर भी गुरु गोबिंद सिंह ने दुख नहीं जताया”,”category”:{“title”:”City & states”,”title_hn”:”शहर और राज्य”,”slug”:”city-and-states”}}
फतेहाबाद में गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व पर गुरुद्वारा जगजीवनपुरा में उपस्थित श्रद्धालु क
फतेहाबाद। गुरु गोबिंद सिंह महाराज ने देश और धर्म की रक्षा के लिए अपना सारा परिवार कुर्बान कर दिया। इसके बावजूद उन्होंने दुख नहीं जताया बल्कि अकाल पुरख के भाने को सही मान अंगीकार किया। इसलिए गुरु गोबिंद सिंह को सरबंसदानी भी कहा जाता है, जिन्होंने देश और धर्म की रक्षा के लिए अपने पूरे परिवार को कुर्बान कर दिया।
Trending Videos
यह बात गुरमत ज्ञान मिशनरी कॉलेज लुधियाना से आए कथावाचक भाई कुलविंद्र सिंह ने गुरु गोबिंद सिंह के बारे में उपस्थित संगत को बताते हुए कही। वो जगजीवनपुरा स्थित गुरुद्वारा सिंह सभा में गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व को लेकर सजाए गए दीवान में उपस्थित संगत से गुरमत विचार साझा कर रहे थे। दिल्ली से आए ढाडी जत्था भाई गुरचरण सिंह चन ने गुरु गोबिंद सिंह की जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि उन्होंने बचपन में ही सिर धड़ से अलग अपने पिता की पार्थिव देह को देखा था।
गुरु गोबिंद सिंह ने मुसलमान शासकों के जुल्मों को सहन करना मंजूर किया, लेकिन उनके सामने अपने पंथ से हटना मंजूर नहीं किया। खालसा पंथ की स्थापना गुरु गोबिंद सिंह ने ही की थी। हजूरी रागी जत्था भाई देवेंद्र सिंह जगजीवनपुरा और रागी जत्था भाई सर्बजीत सिंह गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा जवाहर चौक और गुरुनानकपुरा गुरुद्वारा रागी जत्था भाई अमृतपाल सिंह ने शब्द कीर्तन के माध्यम से संगत को निहाल किया।
उनके द्वारा वाहो वाहो गोबिंद सिंह आपे गुरु चेला, धन गुरु धन बाजां वालेया जग तो निराली तेरी शान है, तुम हो सब राजन के राजा आपे आप गरीब निवाजा, जप मन मेरे गोबिंद की बाणी, धन धन जन आया जिस प्रसाद सब जगत तराया, डिठे सबहि थांव नहीं तुध जेहा शब्द गायन किया गए। मंच संचालन गुरुद्वारा सिंह सभा के महासचिव महेंद्र सिंह वधवा ने किया।
ढाडी वारों ने बताया कि जब गुरु गोबिंद सिंह का पटना साहिब में जन्म हुआ तो हर तरफ खुशहाली महसूस की गई। गुरु गोबिंद सिंह ने ही 1669 में शीश की बलिदानी लेकर पांच प्यारे बनाने के साथ खालसा पंथ की स्थापना की थी। गुरु ने कहा था कि सवा लाख से एक लड़ाऊं तबहि गोबिंद सिंह नाम कहाऊं बताया गया कि हमें भी गुरुजी द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर देश और कौम की रक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए।
इस दौरान साध-संगत के लिए गुरु का अटूट लंगर भी चलाया गया। समागम में गुरुद्वारा सिंह सभा के कार्यकारी प्रधान अजीत सिंह सचदेवा, महेंद्र सिंह ग्रोवर, हरमीत सिंह ग्रोवर, अवतार सिंह मोंगा, कैलाश बतरा, गुरप्रीत सिंह बग्गा सहित काफी संख्या में संगत उपस्थित रही।