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गांव फुलां में विकास कार्यों का उद्घाटन करते रतिया के विधायक लक्ष्मण नापा।
फतेहाबाद। जिले की एकमात्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित रतिया विधानसभा सीट पर चुनावी दंगल जीतने से पहले ही घमासान मचा हुआ है। भाजपा ने जैसे ही पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल को टिकट थमाई, वैसे ही पार्टी में बगावत बढ़ गई। भाजपा से मौजूदा विधायक लक्ष्मण नापा अपने पूरे दलबल के साथ कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं।
लोकसभा चुनाव में काटी गई दुग्गल की टिकट की भरपाई रतिया से मैदान में उतारकर की गई है। मगर दुग्गल को टिकट देने से अब भाजपा की राहें मुश्किल हो गई हैं। पिछले पांच साल से सत्ता में रहकर विकास कार्यों को गति देने का प्रयास कर रहे लक्ष्मण नापा के जाने से पार्टी को नुकसान झेलना पड़ सकता है।
विशेष बात यह है कि साल 2019 में पहली बार रतिया में कमल खिला था। लक्ष्मण नापा भाजपा से जीतने वाले पहले विधायक थे। वहीं, कांग्रेस पार्टी में भी सबसे अधिक 38 दावेदार रतिया से हैं। दावेदारी करने वालों में पूर्व विधायक से लेकर रिटायर्ड आईआरएस तक शामिल हैं। भाजपा बेशक विकास के दावे करें, लेकिन किसान संगठनों के विरोध और नशे पर प्रभावी रोक नहीं लगा पाने जैसी विफलताएं उसके लिए चुनौती बनेंगे।
दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत के बाद से कांग्रेस उत्साहित हैं, लेकिन गुटबाजी यहां भी आड़े आएगी। इस हलके में अनुसूचित जाति के सबसे बड़े वोट बैंक के बाद पंजाबी समाज का नंबर आता है। इसके अलावा बिश्नोई समाज के भी पांच से छह हजार मतदाता हैं। यहां सबसे बड़ी समस्या नशे की है। कई नौजवान नशे की लत के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। पंजाब बॉर्डर के साथ लगा होने के कारण यहां पर नशे का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है।
कभी इनेलो गढ़ रहा, अब मुकाबला भाजपा-कांग्रेस में
रतिया विधानसभा सीट लंबे समय तक इनेलो का गढ़ रही है। 1977 से लेकर 2019 तक हुए 11 चुनावों में से पांच बार इनेलो व लोकदल जीती है। एक बार जनता पार्टी ने भी यहां पर जीत पाई थी। दो बार हविपा के विधायक बने हैं। मगर इस बार मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में ही नजर आ रहा है। विशेष बात यह है कि साल 2014 में इनेलो से विधायक रहे प्रो. रविंद्र बलियाला अब भाजपा में आ चुके हैं, तो मौजूदा विधायक लक्ष्मण नापा भाजपा छोड़कर कांग्रेस में चले गए हैं। सुनीता दुग्गल को बाहरी उम्मीदवार बताकर पार्टी के ही कार्यकर्ताओं ने विरोध जताया था। मगर इसके बावजूद हाईकमान ने दुग्गल को ही मैदान में उतारा है। हालांकि, इनेलो भी अपनी खोई जमीन पाने के लिए पूरा जोर लगाने के मूड में हैं।
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
-विधायक की प्रोफाइल
नाम – लक्ष्मण नापा
उम्र – 57 वर्ष
जन्म – गांव जल्लोपुर (रतिया)
शिक्षा – बीए एलएलबी
राजनीतिक जीवन –
एडवोकेट लक्ष्मण नापा ने साल 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई में कांग्रेस में शामिल होकर अपनी राजनीतिक शुरुआत की थी। बाद में वे इनेलो में शामिल हो गए, मगर टिकट नहीं मिलने के कारण इनेलो छोड़कर 2013 में भाजपा में शामिल हो गए। साल 2014 में भी वह भाजपा की टिकट के प्रबल दावेदार थे, पर उस समय उन्हें टिकट नहीं मिला। तब कुछ दिन पहले ही सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आई सुनीता दुग्गल को टिकट थमा दी गई थी। मगर उस समय नापा ने पार्टी नहीं छोड़ी, जिसके इनाम के तौर पर 2019 में भाजपा ने टिकट दी और वे पहली बार रतिया में कमल खिलाकर विधायक चुने गए।
वर्ष 2019 में भाजपा प्रत्याशी लक्ष्मण नापा ने कांग्रेस प्रत्याशी जरनैल सिंह को 1216 वोटों से हराया था। उस चुनाव में नापा को 55,160 वोट जबकि जरनैल सिंह को 53,944 वोट मिले थे।
रतिया में कुल मतदाता – 2,27,445
महिला मतदाता – 1,08,442
पुरुष मतदाता – 1,18,995
थर्ड जेंडर – 8
विधायक का दावा साढ़े 2100 करोड़ के करवाए विकास, जड़ से नहीं मिटा नशा
रतिया विधानसभा क्षेत्र में विधायक लक्ष्मण नापा पांच साल तक सामाजिक एवं राजनीतिक रूप से काफी सक्रिय रहे हैं। विधायक का दावा है कि पिछले पांच साल में उन्होंने रतिया विधानसभा क्षेत्र में करीब साढ़े 2100 करोड़ रुपये के विकास कार्य करवाए हैं। इनमें शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में नहरी पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए 156 करोड़ रुपये खर्च हुए। गांवों, खेतों के रास्ते पक्के करवाए गए। अमृत सरोवर योजना के तहत गांव कमाना, रतनगढ़, हिजरावां कलां, कुकड़ावाली, नागपुर, जल्लोपुर, बादलगढ़, अयाल्की, अहरवां व गुरुसर में 9 करोड़ 83 लाख रुपये की लागत से तालाबों काे संवारा गया। इसके अलावा बिजली व्यवस्था को भी सुदृढ़ किया गया।
ये विकास कार्य पूरे करवाए
रतिया हलके में लक्ष्मण नापा ने 56 करोड़ रुपये की लागत से नहरी पेयजल आपूर्ति शुरू करवाने का वादा पूरा किया। लिंक रोड की 451 किलोमीटर सड़कों का करोड़ों रुपये की लागत से निर्माण करवाया। जाखन दादी में आईटीआई की मंजूरी दिलवाई। नागपुर में महिला महाविद्यालय को मंजूरी दिलवाई। नापा के कार्यकाल में ही रतिया के पंजाब बॉर्डर के साथ लगने गांव ब्राह्मणवाला से राजस्थान बॉर्डर के गांव मेहूवाला तक सड़क को चौड़ा करने का प्रोजेक्ट पास हुआ। इस पर 150 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत आएगी।
यह विकास कार्य सिरे नहीं चढ़ पाए
नागपुर को उपतहसील का दर्जा नहीं दिला पाए। शहर में डाॅ. भीमराव आंबेडकर के नाम से भवन व लाइब्रेरी बनाने की घोषणा पूरी नहीं हुई। रतिया शहर से हैफेड व अन्य कंपनियों के गोदाम बाहर नहीं करवाए जा सके। ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए शहर में बाईपास बनाने की योजना अधूरी रही। पांच साल में क्षेत्र में कोई बड़ा उद्योग स्थापित नहीं करवा पाए।
:: भाजपा सरकार के कार्यकाल में रतिया विधानसभा क्षेत्र मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरसता रहा है। नशे का लगातार फैलाव हुआ है। काफी युवा नशे के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। भाजपा नेताओं ने ही किसानों पर केस दर्ज करवाए हैं। जनता इस बार करारा सबक सिखाएगी।
-जरनैल सिंह, पूर्व विधायक
रतिया से ये रह चुके अब तक विधायक
1977 – पीरचंद – जनता पार्टी
1982 – नेकीराम – कांग्रेस
1987 – आत्मा सिंह – लोकदल
1991 – पीरचंद – हरियाणा विकास पार्टी
1996 – रामस्वरूप रामा – हरियाणा विकास पार्टी
2000 – जरनैल सिंह – इनेलो
2005 – ज्ञानचंद – इनेलो
2009 – ज्ञानचंद – इनेलो
2011 – जरनैल सिंह ( उपचुनाव) – कांग्रेस
2014 – प्रो. रविंद्र बलियाला – इनेलो
2019 – लक्ष्मण नापा – भाजपा
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