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बिजली क्षेत्र को निजी हाथों में देने का विरोध करते बिजली कर्मचारी।
फतेहाबाद। सरकार ने चंडीगढ़ समेत उत्तर प्रदेश के कानपुर और वाराणसी के बिजली क्षेत्र को निजी हाथों में देने का निर्णय लिया है। इसके विरोध में नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलॉइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर कर्मचारियों ने रोष प्रदर्शन किया। कहा कि हरियाणा से कोई बिजली कर्मचारी चंडीगढ़ में ड्यूटी नहीं करेगा।
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ऑल हरियाणा पावर काॅरपोरेशन वर्कर यूनियन की स्थानीय इकाई से जुड़े कर्मचारियों ने विरोध में गेट मीटिंग की। सर्कल सचिव भूपसिंह भड़ोलावाली ने बताया कि केंद्र सरकार ने फायदे में होते हुए भी चंडीगढ़ बिजली निगम के निजीकरण का फैसला कर लिया है। चंडीगढ़ बिजली क्षेत्र की कुल संपत्ति करीब 25,000 करोड़ रुपये है लेकिन सरकार अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए इसको केवल 871 करोड़ रुपये में बेच रही है।
बिजली का यह ढांचा बड़ी मेहनत के साथ खड़ा किया गया था। इसके बावजूद केंद्र सरकार कई अन्य निगमों को भी जबरदस्ती निजी कंपनियों को बेच रही है। ऐसा करके सरकार अपनी कमजोरियां छिपाने का प्रयास कर रही है, जो आम जनता के हित में नहीं है। इससे आम उपभोक्ता महंगी बिजली खरीदने के लिए मजबूर होगा।
इस फैसले के खिलाफ पूरे देश में विरोध किया जाएगा, जिसके लिए 25 दिसंबर को चंडीगढ़ में बड़ी महापंचायत बुलाई गई है। हरियाणा बिजली निगम प्रबंध ने बिजली कर्मचारियों की ड्यूटी चंडीगढ़ में लगाई है। यूनियन उसका विरोध करती है। इकाई प्रधान अमित शर्मा की अध्यक्षता में इकाई सचिव रामनिवास शर्मा ने संचालन किया। गेट मीटिंग को कुलदीप सिंह, सुरेश कुमार, सुशील कुमार, रेखा रानी, रणजीत सिंह, अर्शप्रीत सिंह, संजय कुमार और धर्मवीर सिंह आदि ने संबोधित किया।