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फतेहाबाद। पिछले दस साल से फतेहाबाद में वापसी के लिए जोर लगा रही कांग्रेस लोकसभा चुनाव के परिणाम से उत्साहित है। पार्टी इस बार दस साल से बरकरार सूखे को खत्म करने के लिए जोर लगा रही है तो वहीं भाजपा जीत बरकरार रखने के लिए पूरी ताकत से जुटी हुई है।
क्षेत्रीय दलों के कमजोर पड़ने के कारण भाजपा और कांग्रेस के नेता उत्साहित हैं और इन दलों में टिकट हासिल करने की होड़ भी सबसे अधिक है। फिलहाल 19 दावेदारों ने कांग्रेस हाईकमान के समक्ष टिकट के लिए आवेदन किया हुआ है। इनमें तीन पूर्व विधायक से लेकर राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी तक शामिल हैं।
फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र में यूं तो कांग्रेस पिछले 19 साल से नहीं
जीत पाई है। मगर साल 2009 में निर्दलीय विधायक बने प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा ने कांग्रेस को समर्थन देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का खेमा अपना लिया था। उसके बाद से वह कांग्रेस से जुड़ गए। अभी भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट की कांग्रेस का फतेहाबाद में गिल्लाखेड़ा ही झंडा बुलंद किए हुए हैं।
लोस चुनाव में फतेहाबाद से 22,641 वोटों से जीती थी कांग्रेस
करीब दस साल बाद फतेहाबाद जिले में कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में ही संजीवनी मिली है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रही कुमारी सैलजा ने फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र से 22,641 वोटों की लीड हासिल की थी। उसी लीड के आधार पर कांग्रेस के दावेदारों का उत्साह आसमान पर है। कांग्रेस के 19 दावेदारों में से एक को ही टिकट मिलनी है। ऐसे में चर्चाएं जोरों पर हैं कि अगर कद्दावर नेताओं में से किसी को टिकट नहीं मिली तो वे निर्दलीय या किसी अन्य पार्टी से भी मैदान में उतर सकते हैं।
पिछले 3 चुनाव से घटता गया है जीत का अंतर
हैरानीजनक बात यह है कि पिछले तीन चुनाव से फतेहाबाद सीट पर जीत का मार्जिन घटा ही है। साल 2005 में दुड़ाराम की जीत का मार्जिन 10,625 रहा था। मगर उसके बाद साल 2009 में प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा 2802, साल 2014 में बलवान सिंह 3505 और साल 2019 में खुद दुड़ाराम 3300 वोटों से जीत पाए हैं।
आखिरी बार साल 2005 में कांग्रेस की टिकट पर दुड़ाराम ही जीते थे
दरअसल, फतेहाबाद विधानसभा सीट से साल 2005 में दुड़ाराम ही कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने थे। उन्होंने उस चुनाव में इनेलो की प्रत्याशी स्वतंत्र बाला चौधरी को 10,625 वोटों से हराया था। उसके बाद से कांग्रेस अपने चुनाव निशान पर जीत नहीं पाई है। साल 2009 में निर्दलीय प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा ने जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी दुड़ाराम को हराया था। हालांकि, बाद में उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार को समर्थन दे दिया था। इसके बाद 2014 के चुनाव में भी कांग्रेस नहीं जीत पाई। उस चुनाव में इनेलो के प्रत्याशी बलवान सिंह दौलतपुरिया जीते थे। उन्होंने तब हजकां की टिकट पर चुनाव लड़े दुड़ाराम को हराया था। साल 2014 के चुनाव में प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा को कांग्रेस की टिकट मिली। मगर वह जीत नहीं पाए। वह 25,387 वोट लेकर चौथे स्थान पर रहे थे।
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Fatehabad News: खोई जमीन पाने की कोशिश में कांग्रेस, भाजपा के सामने जीत बरकरार रखने की चुनौती