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फतेहाबाद। कांग्रेस पार्टी की ओर से एक बार फिर से टोहाना विधानसभा क्षेत्र से पूर्व कृषि मंत्री परमवीर सिंह को ही प्रत्याशी घोषित किया गया है। 64 वर्षीय परमवीर सिंह इससे पहले दो बार चुनाव हार चुके हैं। इनका परिवार टोहाना में सबसे अधिक बार सत्तासीन रहा है। परमवीर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खास रहे हैं।
उनके पिता हरपाल सिंह पंजाब से अलग होकर हरियाणा बनने के समय से ही राजनीति में सक्रिय थे। साल 1967 में हरपाल सिंह टोहाना से विधायक बने। इसके बाद वह पांच बार टोहाना के विधायक रहे। एक बार कुरुक्षेत्र से सांसद भी बने। अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए परमवीर सिंह ने साल 2005 में विधानसभा चुनाव लड़ा। इसके बाद साल 2009 में फिर से उन्हें टोहाना से टिकट दी गई और वह जीतकर हुड्डा सरकार में कृषि मंत्री बने।
साल 2014 में भाजपा की लहर में वह टोहाना से तीसरा चुनाव बुरी तरह हार गए। उन्हें चौथे स्थान पर खिसकना पड़ा। 2014 के चुनाव में टोहाना से भाजपा के सुभाष बराला जीते। इनेलो के निशान सिंह दूसरे नंबर, निर्दलीय देवेंद्र बबली तीसरे और परमवीर सिंह चौथे नंबर पर रहे। इसी तरह 2019 में चौथी बार उन्हें कांग्रेस की टिकट मिली। मगर वह फिर से चुनाव हार गए। इस बार उनकी जमानत भी जब्त हो गई। वह जेजेपी के देवेंद्र बबली और बीजेपी के सुभाष बराला के बाद तीसरे नंबर पर रहे।
कई दावेदार कर रहे थे तैयारी
टोहाना विधानसभा से पूर्व मंत्री परमवीर सिंह के अलावा जेजेपी के प्रदेशाध्यक्ष रहे निशान सिंह (अब कांग्रेस में शामिल), बलजिंदर सिंह ठरवी, हरपाल बुडानिया, बलजीत सिंह दंदीवाल, सरपंच एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष रणबीर गिल, जयपाल लाली, रमेश डांगरा सहित कई दावेदार दावेदारी जता रहे थे। मगर हुड्डा और गांधी परिवार के बेहद करीबी परमवीर सिंह पर ही पांचवीं बार भरोसा जताया गया है। हालांकि, परमवीर सिंह के लिए दो बार हारने वालों को टिकट नहीं देने के नियम को भी दरकिनार कर दिया गया है। इस नियम के चलते परमवीर सिंह के भाई पूर्व जिलाध्यक्ष रणधीर सिंह भी तैयारी कर रहे थे। मगर ऐन मौके पर परमवीर सिंह को ही पार्टी ने मौका देकर मैदान में उतार दिया है।
रोमांचक होगा मुकाबला
टोहाना में भाजपा ने पूर्व पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली को प्रत्याशी बनाया हुआ है। अब कांग्रेस से परमवीर सिंह के मैदान में उतरने से मुकाबला रोमांचक हो गया है। परमवीर सिंह का काफी मजबूत वोट बैंक है। परिवार की 57 साल से भी लंबी राजनीति होने के कारण लोग साथ जुड़े हुए हैं। सरदार होने के चलते सिख वोट बैंक भी जुड़ेगा। ऐसे में परमवीर सिंह देवेंद्र सिंह बबली को इस बार कड़ी टक्कर देते नजर आ सकते हैं।
वफादारी का मिला इनाम
परमवीर सिंह को कांग्रेस के मुश्किल समय में भी साथ खड़े रहने का इनाम मिला है। टोहाना में हुड्डा गुट से हमेशा कांग्रेस के हर कार्यक्रम को परमवीर सिंह ने ही पूरा किया है। जिला मुख्यालय पर भी टोहाना से सबसे अधिक कार्यकर्ताओं के साथ परमवीर सिंह ही आते रहे हैं। ऐसे में पार्टी की ओर से वफादारी का इनाम टिकट देकर दिया गया है।
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