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गांव बैजलपुर में मौके पर एकत्रित ग्रामीणों की भीड़
भूना। गांव बैजलपुर में वीरवार को उम्मीद हाउसिंग फाइनेंस बैंक के कर्मचारियों के साथ ड्यूटी मजिस्ट्रेट एवं अधिकारियों की टीम कर्जदार का मकान सील करने पहुंची। इस पर किसान संगठनों एवं ग्रामीणों ने विरोध कर दिया। इस विरोध के कारण टीम को बिना कार्रवाई के लौटना पड़ना।
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ड्यूटी मजिस्ट्रेट व बैंक अधिकारियों को कर्जदार के समर्थन में आए किसान नेताओं व ग्रामीणों ने विरोध जताया। इस पर ड्यूटी मजिस्ट्रेट सुमेश वशिष्ठ और उम्मीद हाउसिंग फाइनेंस बैंक के प्रबंधक राहुल त्रिपाठी व वेद प्रकाश तथा अन्य अधिकारियों के बीच कई देर तक चर्चा होती रही। आखिर में ऋणदाता का घर सील करने गई टीम को बिना कार्रवाई किए ही लौट गई।
बैंक प्रबंधक राहुल त्रिपाठी ने बताया कि गांव बैजलपुर के सुखमिंद्र सिंह ने घर बनाने के लिए उम्मीद हाउसिंग फाइनेंस से करीब सात लाख रुपये से अधिक का कर्ज लिया था। पिछले कई वर्षों से कर्जदार ने बैंक की किस्त भरनी बंद कर दी। कई बार कर्ज चुकाने के लिए मौखिक एवं लिखित रूप से सूचित किया गया। इसके बावजूद सुखमिंद्र सिंह ने बैंक के पत्राचार को गंभीरता से नहीं लिया।
इस पर बैंक प्रबंधन ने न्यायालय का सहारा लिया। न्यायालय प्रक्रिया के दौरान भी कर्जदार से कई बार लोन के बारे में बात की गई, मगर सुखमिंद्र सिंह ने बैंक से लिया हुआ कर्ज चुकाने से इन्कार कर दिया। इस पर न्यायालय ने संबंधित को घर सील करने के आदेश दिए हैं। वीरवार को ड्यूटी मजिस्ट्रेट व पुलिस की मौजूदगी में मकान सील करने की कार्रवाई करने पहुंचे तो कर्जदार ने लोगों की काफी भीड़ इकट्ठी कर ली और टीम को कार्रवाई करने से रोक दिया।
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उम्मीद हाउसिंग फाइनेंस बैंक ने धोखे में रखा : सुखमिंद्र
सुखमिंद्र सिंह ने बताया कि उम्मीद हाउसिंग फाइनेंस बैंक ने उन्हें करीब साढ़े चार मरले जमीन में मकान बनाने के लिए वर्ष 2023 में पांच लाख रुपये दिए थे। इस दौरान 5 साल में सात लाख रुपये संपूर्ण ब्याज सहित ऋण चुकाने की बात हुई थी। परंतु उसने मात्र एक वर्ष में ही 1 लाख 95 हजार की राशि बैंक में जमा करवा दी। इसके बावजूद बैंक 7 लाख 30 हजार हजार की ऋण राशि होने का दावा कर रहा है। सुखमिंद्र सिंह ने बताया कि वह बैंक की पूर्व शर्तों के अनुसार पूरी कर्जा राशि हाथों-हाथ देने के लिए तैयार है। बैंक से जुड़े हुए लोग भोले-भाले लोगों को कम ब्याज में ऋण देने का हवाला देकर फंसा कर आर्थिक रूप से बड़ी चपत लगा रहे हैं। किसानों व ग्रामीणों ने अधिकारियों से जब सवाल किया तो वे जवाब नहीं दे सके और मौके से निकल गए।
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