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विदेश भेजने का धंधा बना परिवार का काल
नैब सिंह अपने पोते केशव के साथ खेती करता था। दुष्यंत शाहाबाद कोर्ट में प्यादा था। कुछ समय पहले दुष्यंत ने विक्रम (सुसाइड नोट में जिक्र) के साथ लोगों को विदेश भेजने का काम शुरू किया था। यही धंधा परिवार के लिए काल साबित हुआ। हालांकि ग्रामीण बाहरी हमलावरों के वारदात को अंजाम देने की बात कर रहे थे। सुसाइड नोट के मुताबिक विक्रम लोगों से पैसे अपने पास रखता था, जबकि दुष्यंत फाइल लगाने का काम करता था।
दुष्यंत ने विक्रम को ठहराया जिम्मेदार
विक्रम ने किसी चंद्रभान से पैसे लेकर काम नहीं किया था। इस लेनदेन में दुष्यंत फंस गया और उसने सनसनीखेज वारदात को अंजाम दिया। इधर, दुष्यंत के लेनदेन की भनक उसके परिवार को भी मिल चुकी थी। इस वजह से दुष्यंत मानसिक रूप से परेशान रहने लगा था। पिता ने दुष्यंत को काम छोड़ने की सलाह दी थी। दुष्यंत ने विक्रम और उसके परिवार को हत्या और आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने का जिम्मेदार ठहराया है।
पुलिस ने भी किया टॉर्चर
विक्रम कनाडा में रहता है। विक्रम की वजह से चंद्रभान, उसका बेटा सलिंद्र, जमाई संदीप और बेटी कोमल उसे और उसके परिवार को परेशान करते थे। उन्होंने हमारी झूठी दरखास्त पुराना शहर सोनीपत में दी थी। इसमें चौकी इंचार्ज रोहित और शिवमुनि ने भी उसे बहुत टॉर्चर किया।
धनपत सिंह मलिक उसे अलग से ले जाकर जान से मारने और उसके सारे परिवार को उठाने की धमकी देता था। इससे तंग आकर उसने 16 अगस्त को छह लाख और दो लाख के दो चेक उनको दिए थे, जबकि यह राशि विक्रम के पास गई थी। इनका कोई बकाया न देना था। उसके पास जो दो लाख संदीप के आए थे। वो भी उसने 13 जून तक लौटा दिए। उसके बाद उसने 50 हजार और 32 हजार रुपये भी 19 जून को उनके मांगने पर दे दिए थे। फैसले के बाद भी संदीप उसे परेशान करता रहा और उससे दो लाख रुपये और मांगता था।
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