गहलोत ने कहा, …तब भी राजस्थान सरकार इस योजना को पूरा करेगी
आपसी अदावत ही नहीं, इन 3 मुद्दों ने अटकाया काम
इस परियोजना के अटकने के पीछे गहलोत और शेखावत की सियासी अदावत ही हैं, ऐसा नहीं है। तीन और मुद्दे हैं। पहला मामला है नदियों के पानी के उपयोग की डिपेंडेबिलिटी। राष्ट्रीय परियोजना के लिए इसका प्रतिशत 75 होना चाहिए, जबकि ईआरसीपी के मामले में यह 50 फीसदी है। दूसरा मामला एमपी से एनओसी का है। एमपी से आने वाली नदियों के पानी के उपयोग के लिए एनओसी अभी तक नहीं मिल सकी है। एमपी को यह भी लग रहा है कि राजस्थान उनके हिस्से का पानी ले लेगा। तीसरा मामला इंटरस्टेट विवाद पर केंद्र के दखल का है। ऐसे इंटरस्टेट विवादों को केंद्र साथ बैठकर हल कराता है। लेकिन ईआरसपी मामले में कई बैठकों के बाद भी पेच 50 फीसदी डिपेंडेबिलिटी के चलते डीपीआर पर अटका हुआ है।
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37200 करोड़ की परियोजना, 70000 हजार करोड़ लागत की हुई
राजस्थान नहर परियोजना प्रदेश की महत्वकांक्षी परियोजना है जिसकी डीपीआर केन्द्र सरकार के उपक्रम वेप्फॉस लिमिटेड द्वारा तैयार की गई है। मुख्यमंत्री के अनुसार 37200 करोड़ की लागत से बनने वाली इस परियोजना को वर्ष 2016-2017 में भाजपा की वसुंधरा राजे सरकार ने बनाया था। प्रोजेक्ट में देरी होने के कारण 40 हजार करोड़ की परियोजना 70 हजार करोड़ रूपये की लागत की हो गई है। गहलोत ने कहा कि कोरोना जैसी महामारी से उत्पन्न विकट परिस्थितियों के बावजूद राजस्थान सरकार ने इस परियोजना के लिये 9600 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया है।
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