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Elon Musk की डायरेक्ट-टू-सेल टेक्नोलॉजी क्या टेलीकॉम कंपनियों को पहुंचाएगी नुकसान? – India TV Hindi Today Tech News

Elon Musk की डायरेक्ट-टू-सेल टेक्नोलॉजी क्या टेलीकॉम कंपनियों को पहुंचाएगी नुकसान? – India TV Hindi Today Tech News

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Image Source : FILE
डायरेक्ट टू सेल

Elon Musk की कंपनी Starlink ने हाल ही में डायरेक्ट-टू-सेल टेक्नोलॉजी को हाल ही में टेस्ट किया है। इस टेक्नोलॉजी के जरिए यूजर्स बिना मोबाइल नेटवर्क के भी अपने फोन से कॉलिंग और इंटरनेट डेटा एक्सेस कर सकते हैं। एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक जल्द ही भारत में अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू करने वाली है। ऐसा माना जा रहा है कि भारत में स्टारलिंग टेलीकॉम कंपनियों Airtel और Jio के मार्केट पर बड़ा असर डाल सकता है। हालांकि, हाल में आई रिसर्च फर्म JM फाइनेंशियल की यह रिपोर्ट टेलीकॉम ऑपरेटर्स को बड़ी राहत दे सकता है।

टेलीकॉम कंपनियों को राहत

रिपोर्ट में कहा गया है कि डायरेक्ट-टू-सेल टेक्नोलॉजी की क्वालिटी ट्रेडिशनल वायरलेस कनेक्टिक्टी के मुकाबने ‘निम्न स्तर’ की होती है। इसकी वजह से यह भारतीय टेलीकॉम कंपनियों को नुकसान नहीं पहुंचाएगी। Jio और Airtel का भारत में मार्केट शेयर 70 से 80 प्रतिशत है। यही नहीं, एलन मस्क की सैटेलाइट बेस्ड डायरेक्ट-टू-लिंक सर्विस को भी यूजर तक पहुंचाने के लिए टेलीकॉम कंपनियों के साथ साझेदारी करनी पड़ेगी, ताकि सिम कार्ड को वेरिफाई किया जा सके।

डायरेक्ट-टू-सेल टेक्नोलॉजी

एलन मस्क की सैटेलाइट बेस्ड डायरेक्ट-टू-सेल टेक्नोलॉजी को अमेरिकी टेलीकॉम ऑपरेटर T-Mobile के सहयोग से टेस्ट किया गया है। डायरेक्ट-टू-सेल टेक्नोलॉजी सैटेलाइट के जरिए ऑपरेट होने वाली मोबाइल सर्विस है, जिसमें नेटवर्क को सैटेलाइट से डायरेक्ट मोबाइल फोन पर सिग्नल को बीम किया जाता है। इस टेक्नोलॉजी के जरिए उन लोकेशन पर भी मोबाइल सर्विस को एक्सेस किया जा सकता है, जहां टैरेस्टियल मोबाइल टावर का सिग्नल नहीं पहुंचता है। खास तौर पर प्राकृतिक आपदा या इमरजेंसी के समय मोबाइल से मदद ली जा सके।

हालांकि, एलन मस्क की कंपनी Starlink के पास अंतरिक्ष में ऐसे सैटेलाइट हैं जो मोबाइल फोन पर सिग्नल को डायरेक्ट बीम कर सकते हैं। स्टारलिंक की तरह की कई और सैटेलाइट कंपनियां भी डायरेक्ट-टू-सेल टेक्नोलॉजी को फिलहाल टेस्ट कर रही हैं। 2022 में लॉन्च हुए Apple iPhone 14 सीरीज को सैटेलाइट कनेक्टिविटी के साथ लॉन्च किया गया था। एप्पल के पास भी यह टेक्नोलॉजी है जो इमरजेंसी के समय यूजर को सैटेलाइट के जरिए कनेक्टिविटी की सुविधा प्रदान करता है। इसके लिए एप्पल ने अमेरिकी कंपनी ग्लोबस्टर मोबाइल सैटेलाइट सर्विस नेटवर्क के साथ साझेदारी की है।

भारतीय पब्लिक टेलीकॉम ऑपरेटर BSNL ने भी डायरेक्ट-टू-डिवाइस सैटेलाइट कनेक्टिविटी टेक्नोलॉजी को पिछले साल आयोजित हुए इंडिया मोबाइल कांग्रेस (IMC 2024) में शोकेस किया था। भविष्य में भी सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस मौजूदा ब्रॉडबैंड सर्विस के लिए चुनौती नहीं बनेंगे क्योंकि सैटेलाइट बेस्ड ब्रॉडबैंड सर्विस के लिए फाइबर ब्रॉडबैंड के मुकाबले 7 से 18 गुना ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।

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