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महिला अनुराधा – फोटो : संवाद
विस्तार
हुनर खराब से खराब चीज को भी सुधार या संवार सकता है। अगर दिलचस्पी के साथ हुनर को निखारा जाए तो फिर अलग पहचान तक मुकम्मल हो जाती है। शहर के पुराना झज्जर रोड निवासी अनुराधा इसकी बानगी हैं। अनुराधा ने वेस्ट से बेस्ट बनाने का हुनर अपनी मां चंद्रकला से सीखा और समय बीतने के साथ इसमें निखार कर महारत हासिल कर ली। अब वो बेकार वस्तुओं से आकर्षक एवं सजावटी शो पीस बना रही हैं।
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बता दें कि अनुराधा गर्ग गृहिणी हैं और घरेलू काम भी जल्द निपटा देती हैं। इसके बाद खाली समय में बोरियत से छुटकारा पाने के लिए एक दिन वह अपने मायके गई तो उनकी मां चंद्रकला गोयल ऊन से कपड़े बना रही थीं। इसके बाद उन्हें खाली समय का सदुपयोग करने की प्रेरणा मिली। बाद में उन्होंने अपने घर में रखे कुछ अखबार व कैलेंडर का उपयोग कर कुछ हैंगिंग फ्लॉवर पॉट बनाए। जब परिजनों से कार्य की सराहना मिली तो बेकार चीजों से अन्य सामान बनाना शुरू कर दिया। अब आठ साल से वह अपने इस हुनर से खराब चीजों को सुंदर रूप देकर घर में विशेष स्थान दे रही हैं। इतना ही नहीं विशेष अवसर पर वो वेस्ट से तैयार किया गया सामान परिचितों को गिफ्ट के रूप में देती हैं।
अब तक बनाई हैं ये वस्तुएं
अनुराधा पुराने अखबार, कागज, जूते व अन्य सामान के डिब्बे, कुल्फी स्टिक, खाली पेन, प्लास्टिक व कांच की बोतल और डिब्बे, बाल्टी, खिलौने, टायर, टूटे गमले, पुराने कपड़े आदि का उपयोग करती हैं। इनसे उन्होंने पौधों लगाने के लिए गमले, बैठने के लिए गद्दा व स्टूल, फोन चार्जिंग स्टैंड, झूमर, दीवार पेटिंग, शादी एलबम, देवी-देवताओं की मूर्ति, गुड़िया आदि सामान बनाया है।
अब तक सात बार प्रदर्शनी में जीता इनाम
अनुराधा ने बताया कि अग्रवाल संस्था की ओर से आर्ट एंड क्राफ्ट की प्रदर्शनी लगाई जाती है। इसमें वह दस बार प्रतिभागी रह चुकी हैं। इनमें से उसके सात आइटम ने इनाम जीता है। इसके अलावा वह अपने पड़ोसी और परिचितों को भी अपनी बनाई हुई चीजें गिफ्ट करती हैं। इससे अनुराधा का भाई सत्यनारायण भी प्रेरित हुए और खाली चीजों के उपयोग से घर में पौधे लगा रहे हैं।
किचन वेस्ट से बना रहीं खाद
अनुराधा घर में रसोई से निकलने वाले फलों व सब्जियों के छिलके से भी खाद, लिक्विड फर्टीलाइजर, पेस्टीसाइड आदि बनाती हैं और घर पर इनका उपयोग करती हैं। घर से सप्ताह में एक बार ही कचरा निकलता है।
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Dadri: वेस्ट से बेस्ट बनाने का हुनर; खराब बोतल, अखबार व डिब्बे से दैनिक उपयोगी सामान बना अनुराधा ने बनाई पहचान