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शहर स्थित जमींदारा सोसायटी में पुलिस की मौजूदगी में 1600 बैग डीएपी का किया गया वितरण
फोटो- 04 अनाज मंडी में जमींदारा सोसायटी कार्यालय के बाद खाद लेने के लिए लगी किसानों की भीड़। संवाद
संवाद न्यूज एजेंसी
चरखी दादरी। शहर में डीएपी खाद लेने के लिए किसान 35 डिग्री तापमान में दोपहर के समय छाता लिए कतार में डटे रहे। शहर में 1600 बैग डीएपी खाद पहुुंची जो शाम तक बांट दी गई। इस दौरान महिला पुलिस कर्मचारियों ने महिलाओं की कतार संभाली। करीब 10 पुलिस जवानों ने खाद का वितरण करवाया।
मंगलवार सुबह जैसे ही खाद पहुंचने की सूचना किसानों को मिली, कुछ देर में ही किसान शहर स्थित जमींदारा सोसायटी कार्यालय के बाहर कतार में खड़े हो गए। दोपहर के समय 35 डिग्री तापमान में लोग छाता लेकर कतार में डटे रहे। किसानों ने धूप में तप कर खाद ली। महिलाएं भी छाता लेकर कतार में डटी रहीं। खाद वितरण शुरू करने से पहले ही पुलिस बुला ली गई थी। पुलिस की मौजूदगी में खाद का वितरण किया गया।
सोसायटी कार्यालय के बार मंडी का खुला मैदान है। किसानों को खुले मैदान में तेज धूप में कतार में खड़ा होना पड़ रहा है। यहां शेड आदि की कोई व्यवस्था नहीं है। किसानों का तर्क था कि कम से छाया की तो व्यवस्था करनी चाहिए। अस्थायी तौर पर शामियाने की व्यवस्था तो की जा सकती है। गर्मी में अचेत होने का अंदेशा बना रहता है।
14 हजार एमटी की है जरूरत
रबी सीजन में सरसों, जौ व गेहूं की बिजाई के लिए डीएपी 14 हजार व यूरिया खाद की 30 हजार एमटी की जरूरत पड़ेगी। जिले का कुल कृषि योग्य रकबा दो लाख 73 हजार एकड़ है। जिले में रबी सीजन में गेहूं, जौ, चना, गेहूं व मेथी आदि की फसलें उगाई जाती हैं। सरसों किसानों की पसंदीदा फसल है। यह नकदी फसल मानी जाती है। इसमें सिंचाई की कम जरूरत होती है। लागत खर्च भी कम आता है। सरसों का सरकारी रेट भी बढि़या है। इसी प्रकार, गेहूं की बिजाई कम क्षेत्र में होती है। सरसों की बिजाई हर साल करीब 55 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में होती है जबकि गेहूं का रकबा 40 हजार हेक्टेयर तक ही पहुंच पाता है।
प्रति एकड़ 50 किलोग्राम की खपत
बिजाई के दौरान किसान डीएपी डालते हैं। किसान प्रति एकड़ 50 किलोग्राम डीएपी डालते हैं। यूरिया का छिड़काव पहली सिंचाई के बाद किया जाता है। आजकल डीएपी खाद का किसान ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल करने लगे हैं जबकि रासायनिक खाद फसलों के लिए हानिकारक माना जाता है। जैविक व गोबर की देशी खाद ज्यादा कारगर होती है। इस खाद से जमीन की प्राकृतिक रूप से उर्वरा शक्ति बढ़ती है। पैदावार भी अच्छी मिल जाती है।
अगले माह शुरू होगी बिजाई
रबी सीजन की बिजाई का समय अक्तूबर व नवंबर माह है। अक्तूबर माह में सरसों की बिजाई शुरू हो जाती है। नवंबर प्रथम सप्ताह में गेहूं की बिजाई शुरू हो जाती है। जौ की बिजाई अक्तूबर माह में ही होती है। ऐेसे में अगर अभी से खाद की आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे तभी किसानों को समय पर खाद मिल सकेगी। अभी से प्रतिदिन खाद का वितरण शुरू किया जाएगा तभी पूर्ति हो सकेगी। बाद में तो ज्यादा मारामारी मचने की संभावना है। फसलों की बिजाई में भी देरी हो जाती है। वर्जन
खाद का वितरण शांतिपूर्वक किया गया है। धूप से बचाव के लिए अस्थायी प्रबंध के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखेंगे। खाद की कमी नहीं रहने दी जाएगी। पुलिस की मौजूदगी में खाद का वितरण किया गया।
-मैनेजर, राजेश कुमार, जमींदारा सोसायटी
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