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बाढड़ा का मुख्य क्रांतिकारी चौक। संवाद
संवाद न्यूज एजेंसी
बाढड़ा। घर के रहे ना घाट के। कुछ ऐसी ही स्थिति का सामना कर रहे हैं बाढड़ा के लोग। सरकार की ओर से बाढड़ा नगर पालिका का दर्जा भंग हुए दो साल बीत चुका है लेकिन अब तक ग्राम पंचायत के चुनाव नहीं हुए हैं। इससे बाढड़ा और साथ लगते हंसावास गांव में विकास कार्य बाधित हो गया है। बीडीपीओ के पास इन गांवों के विकास की जिम्मेदारी है लेकिन जन प्रतिनिधि नहीं होने से कई छोटे-बड़े काम नहीं हो पा रहे हैं।
बता दें कि भाजपा सरकार ने अपनी दूसरी पारी के दौरान वर्ष 2021 में बाढड़ा और हंसावास गांव को मिलाकर बाढड़ा नगर पालिका का दर्जा दिया था। इसके कुछ समय बाद ही इसकी खिलाफत शुरू हो गई और लोगों ने ग्राम पंचायत का दर्जा देने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया। इसके बाद सरकार ने बाढड़ा और हंसावास में जनमत संग्रह कराने और उसी आधार पर निर्णय लेने का एलान किया। बाद में जनमत सर्वे के आधार पर दिसंबर 2022 में बाढड़ा नगर पालिका को भंग कर दिया।
ग्रामीणों की मानें तो उसके बाद से ही ग्राम पंचायत चुनाव होने का इंतजार है। दो साल की लंबी समय अवधि बीतने के बाद भी नतीजा सिफर है। चुनाव तय न होने का असर सीधे तौर पर विकास कार्याें पर पड़ रहा है।
ग्रामीणों ने बताया कि मूलभूत समस्याओं तक का समाधान नहीं हो पा रहा है। पंचायत चुनाव की तारीख तय होने का बेसब्री से इंतजार है। इसके बाद ही बाढड़ा के साथ हंसावास गांव में विकास कार्याें का रास्ता साफ होगा। अब इसमें सरकार को और देरी नहीं करनी चाहिए।
वर्ष 2023 में बहाल हुआ था ग्राम पंचायत का दर्जा : जनमत सर्वे के आधार पर सरकार ने दिसंबर 2022 में बाढड़ा नगर पालिका का दर्जा भंग कर दिया था। इसके बाद अप्रैल 2023 में दोनों ग्राम पंचायतों का दर्जा बहाल कर विभाग का गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया था। इसे लेकर 6 माह तक आंदोलन चला और तत्कालीन कृषि मंत्री जेपी दलाल ने आंदोलन खत्म कराया था।
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Charkhi Dadri News: घर के रहे न घाट के…दो साल से पालिका का दर्जा भंग, पंचायत चुनाव भी नहीं हुआ