गांव कादमा में चुनावी चर्चा करते ग्रामीण। संवाद
चुनावी चौपाल:
दस हजार की आबादी वाले कादमा गांव के ग्रामीण ने की प्राध्यापकों की कमी दूर करने की मांग, दो साल बाद भी स्टाफ की तैनाती न होने से विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित
संवाद न्यूज एजेंसी
चरखी दादरी/कादमा। सरकार नै कादमा मै कोलेज तो खोल दिया, लेकिन मास्टरा की तैनाती कौणी करी सै। इब म्हारे गाम का राजकीय कोलेज उधारी के मास्टरा कै भरोसै चालै सै। यह टीस कादमा के ग्रामीणों ने बयां की। ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव की पहली प्रमुख चुनावी मांग प्राध्यापकों की कमी को दूर करना है।
दरअसल, गांव कादमा के राजकीय कॉलेज में प्रोफेसरों की कमी काफी खल रही है। इसकी चर्चा युवा से लेकर बुजुर्गों तक है। उनका कहना है कि जब भी कोई प्रत्याशी वोट मांगने आएगा तो कादमा का विजन जरूर जानेंगे। साथ ही यह पता करेंगे कि शिक्षा के स्तर में सुधार करवाने के लिए क्या योजना है? ग्रामीणों का कहना है कि जो प्रत्याशी अपना स्पष्ट विजन रख पाएगा, उसके पक्ष में ही मतदान करेंगे।
दरअसल, कादमा गांव में सरकार ने वर्ष 2022 में सेठ कालूराम कॉलेज शुरू किया था। करीब दो साल बाद भी यहां प्राध्यापकों की स्थायी नियुक्ति नहीं हो पाई है। कॉलेज में सात पद सृजित हैं। तीन पद डेपुटेशन पर भरे गए हैं। तीन पद खाली पड़े हैं। लंबा समय बीतने के बाद भी प्राध्यापकों की तैनाती नहीं हो पाई है। सीधे तौर पर इसका असर विद्यार्थियों की पढ़ाई पर पड़ रहा है।
– पांच में से लग पा रहीं तीन कक्षाएं
प्राध्यापकों की कमी के चलते कादमा कॉलेज में प्रतिदिन पांच में से केवल तीन विषयों की कक्षाएं लग पाती हैं। ग्रामीण व कॉलेज प्राचार्य कई बार उच्च अधिकारियों को मांगपत्र देकर स्थायी नियुक्ति की मांग कर चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर स्थायी प्रोफेसर होते तो महाविद्यालय प्रबंधक की ओर से प्रतिदिन कक्षाओं का शेड्यूल जारी होता और विद्यार्थियों की नियमित कक्षाएं लग पातीं।
कादमा गांव से जुड़े तथ्य
आबादी – 1000
मतदाता – 5286
महिला मतदाता – 2448
पुरुष मतदाता- 2838
साक्षरता दर – 70 फीसदी
ग्रामीण बोले : शिक्षा बिना संभव नहीं विकास, जल्द हो प्राध्यापकों की तैनाती
– शिक्षा के बिना किसी भी क्षेत्र का विकास संभव नहीं है। अगर कॉलेज में प्राध्यापकों के सभी पद भरे हों तो युवाओं को अच्छी शिक्षा मिल पाती और उन्हें दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ती।
-आशु गोयल, ग्रामीण
– महाविद्यालय में प्रोफेसरों की कमी से शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई है। इसके अभाव में युवा अन्य महाविद्यालयों में जाने के लिए विवश हैं। विद्यार्थियों के साथ उनके अभिभावकों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
-अजीत, ग्रामीण
वर्जन :
महाविद्यालय में स्थायी प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए पंचायत की ओर कई बार प्रयास किए गए हैं। लेकिन, डेपुटेशन पर ही तैनाती हो पाई। स्थायी नियुक्ति करवाने के लिए ग्राम पंचायत प्रयासरत है।
-महेश कुमार, सरपंच प्रतिनिधि, कादमा
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कादमा का राजकीय महाविद्यालय। संवाद
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गांव कादमा में चुनावी चर्चा करते ग्रामीण। संवाद
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आशु गोयल
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अजीत।
Charkhi Dadri News: उधारी कै मास्टरा कै भरोसै चालै सै म्हारा कादमा राजकीय कोलेज