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स्वतंत्रता सेनानी रामस्वरूप मेचु। स्रोत: परिजन
अटेला कलां निवासी स्वतंत्रता सेनानी ने वर्मा, मलयेशिया और जापान में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ी लड़ाई
संवाद न्यूज एजेंसी
चरखी दादरी। गांव अटेला नया निवासी स्वतंत्रता सेनानी एवं नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आजाद हिंद फौज के सिपाही रामस्वरूप ने अंग्रेजों को खूब छकाया था। वह सात साल घर नहीं लौटे तो रिश्तेदार व समाज के लोग रामस्वरूप की पत्नी को दूसरी शादी करने का दबाव बनाने लगे। उनकी पत्नी मोहरली देवी ने इसे ठुकरा दिया। लोगों ने मान लिया था कि रामस्वरूप जिंदा नहीं हैं। उन्होंने वर्मा, मलयेशिया व जापान में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
आजाद हिंद फौज के सिपाही रामस्वरूप का जन्म 13 मई 1917 को गांव अटेला नया में हुआ था। दो अक्तूबर 1935 को वह भारतीय सेना में भर्ती हो गए थे। उन्होंने अंग्रेजी सरकार को खूब छकाया। जब वह रंगून से युद्ध के बाद लौटे तो उन्हें नेताजी सुभाषचंद्र बोस के साथ दोपहर के भोजन का निमंत्रण मिला। उन्हें 1939-45 के विश्व युद्ध मेडल से सम्मानित किया गया। राज्य सरकार की ओर से भी उनको सम्मानित किया गया। रामस्वरूप ने भारतीय सेना में 10 साल नौकरी की। वह 14 दिसंबर 1945 को सेवानिवृत्त हो गए। उनके सात लड़के व तीन लड़कियां हैं। 21 अक्तूबर 1997 को उन्हें ताम्रपत्र से सम्मानित किया गया। सरकार की ओर से स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सुविधा भी है। विदित रहे कि जिले से काफी संख्या में स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी की लड़ाई लड़ी थी। इनमें से सभी स्वर्ग सिधार चुके हैं।
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स्वतंत्रता सेनानी रामस्वरूप मेचु। स्रोत: परिजन
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स्वतंत्रता सेनानी रामस्वरूप को मिला ताम्रपत्र। स्रोत : परिजन
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Charkhi Dadri News: रामस्वरूप ने अंग्रेजों को खूब छकाया