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Charkhi Dadri News: छोटी बेटी ने की शुरुआत तो योग में परिवार के सदस्यों ने जीत लिए 28 पदक Latest Haryana News

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चरखी दादरी। कहते हैं किसी की एक पहल पूरे परिवार का जीवन संवार देती है। छपार निवासी सत्यवान सांगवान का परिवार इसकी बानगी है। परिवार की सबसे छोटी बेटी दिव्या ने सबसे पहले योग की शुरुआत की। इसके बाद परिवार के अन्य सदस्यों ने भी इसे दिनचर्या का हिस्सा बना लिया। दिव्या की पहल का फायदा यह हुआ कि योग को अपनाने वाले परिवार के छह सदस्य अब तक अलग-अलग स्पर्धाओं में 28 पदक जीत चुके हैं। हालांकि, सबसे पहली सफलता दिव्या ने ही हासिल की।

बता दें कि रविवार को आर्य हिंदी महाविद्यालय में योगा फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से जिला स्तरीय योग स्पर्धा आयोजित की गई। इसमें विभिन्न आयु वर्ग में योग साधकों ने भाग लिया और योगासन किया। स्पर्धा में सत्यवान परिवार के सभी सदस्यों ने अपने आयु वर्ग में बेहतरीन प्रदर्शन किया और प्रतिद्वंद्वी को हराकर छह पदक अपने नाम किए। इसमें उनकी बेटी दिव्या ने 12 से 14 आयुवर्ग में प्रथम स्थान हासिल किया।

सत्यवान के भतीजे आशीष ने 25 से 30 आयुवर्ग में दूसरा, भांजे रविंद्र ने 30 से 35 आयुवर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त किया। वहीं, 45 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में सत्यवान और महिला वर्ग में बहन सुदेश ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।

सत्यवान सांगवान ने बताया कि नौ साल पहले उन्होंने योग की शुरुआत की थी। उनके छोटे भाई विरेंद्र सांगवान सेना में योग ट्रेनर हैं। उन्होंने बेटी दिव्या को सबसे पहले योग सिखाया। उसको देखकर वह और बाकी सदस्य योग करने लगे। बाद में जानकारी मिलने पर वे योग स्पर्धाओं में हिस्सा लेने लगे।

– राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर भी पदक जीत चुका है परिवार

सत्यवान ने बताया कि उनके परिवार के सदस्यों ने अब तक 12 स्पर्धाओं में भाग लिया है। अब तक राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर एक-एक पदक जीता है। इसके अलावा 26 पदक जिला स्तरीय स्पर्धाओं में हासिल किए हैं। दिव्या ने 10, विरेंद्र ने 3, सुदेश ने 4 पदक हासिल किए हैं। आशीष और रविंद्र का यह पहला पदक रहा। आशीष नौसेना में और रविंद्र छपार स्टेडियम में ग्राउंडमैन हैं।

– आठ युवाओं को सिखा चुके हैं योग

सत्यवान ने बताया कि अब उनका पूरा परिवार प्रतिदिन योग करता है। उनकी दिनचर्या की शुरुआत योग गतिविधियों से होती है। अब तक वे आठ युवाओं को योग सिखा चुके हैं। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को प्रतिदिन योग करना चाहिए। प्रतियोगिता में भले ही हिस्सा न लें, लेकिन अपने जीवन को निरोग व सुगम बना सकते हैं। गांव के युवाओं को योग से जोड़ने के लिए उनका पूरा परिवार प्रयासरत है।

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