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चंडीगढ़। जिला बार एसोसिएशन के वकीलों का पिछले 24 दिनों से यूटी टेनेंसी एक्ट-2019 के विरोध में चला आ रहा वर्क सस्पेंड थम गया है। बीते 20 जून को बार एसोसिएशन की जनरल हाउस की बैठक के बाद 22 जून से विरोध शुरू हुआ था। इस पर मंगलवार को जनरल हाउस की बैठक के बाद विराम लग गया है। बुधवार से वकील काम पर लौटेंगे और अदालतों में बहस करते नजर आएंगे। इससे हजारों लोगों को राहत मिली है।
बीते सोमवार को जिला बार एसोसिएशन के सदस्यों ने यूटी के प्रशासक गुलाबचंद कटारिया से मुलाकात की थी। इसके बाद जनरल हाउस की बैठक में वर्क सस्पेंड को लेकर वकीलों की सहमति बन गई है। गवर्नर ने आश्वासन दिया है कि टेनेंसी एक्ट पर केंद्र सरकार से बात करेंगे। वहीं, कानून लागू होने से पहले वकीलों की प्रतिक्रिया ली जाएगी। पिछले लगभग एक महीने से अदालत के चक्कर काटकर निराश लौट रहे लोगों को राहत मिली है। बता दें कि जिला अदालत में प्रतिदिन लगभग 2.5 हजार केस लगते हैं। अब तक करीब 50 हजार केस प्रभावित हो चुके है। इनमें सिविल, क्रिमिनल, रेंट एक्ट, मोटर एक्सीडेंट क्लेम, प्रॉपर्टी विवाद, वैवाहिक विवाद, जमानत अर्जी, चेक बाउंस के मामले शामिल है।
नए केसों की संख्या बढ़ी, पुरानों का नहीं हुआ निपटारा
वर्क सस्पेंड के चलते पुराने केसों का निपटारा नहीं हो पा रहा था। वहीं, नई केसों की संख्या में भी इजाफा देखने को मिला है। जिला अदालत में करीब एक लाख से अधिक मामले लंबित है, जिसमें 23 हजार से अधिक सिविल केस है। वहीं, 81 हजार से अधिक क्रिमिनल मामले शामिल हैं। बता दें कि 61.25 प्रतिशत मामले बीते एक साल से लंबित हैं। तीन से पांच साल पुराने मामलों की संख्या 25.49 प्रतिशत है।
साल 2019 में बना था टेनेंसी एक्ट
नए एक्ट के तहत सुनवाई तीन बार से अधिक नहीं टाली जा सकती है। इसके साथ टेनेंसी एग्रीमेंट से जुड़ी जानकारी वेबसाइट पर अपलोड होगी। इस एक्ट के तहत चंडीगढ़ प्रशासन ने मालिकों और किराएदारों के हितों में संतुलन और किराए को रेगुलेट करने और किराएदार व मालिक के बीच विवाद को फास्ट ट्रैक आधार पर निपटाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार के मॉडल टेनेंसी एक्ट की तर्ज पर चंडीगढ़ यूनियन टेरिटरी टेनेंसी एक्ट 2019 का प्रारूप तैयार किया गया था।
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75 साल पुराना एक्ट के तहत ही होगी सुनवाई
वर्तमान समय में शहर में 75 साल पुराना ईस्ट पंजाब अर्बन रेंट रिस्ट्रिक्शन एक्ट लागू है। पुराने एक्ट के तहत किराएदार-मकान मालिक के विवादों को सुलझाने का तरीका पुराना समय का माना जा रहा है। इसके पीछे की वजह हाउसिंग और बिजनेस की बदलती जरूरतें हैं इसलिए नए टेनेंसी एक्ट का प्रस्ताव लाया गया है। वकीलों के विरोध के बाद फिलहाल, 75 साल पुराने एक्ट के तहत ही रेंट संबंधित मामलों की सुनवाई होगी।
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वकील क्यों कर रहे थे विरोध
नए एक्ट को लेकर वकीलों की दलील थी कि अफसरशाही को न्याय तंत्र की शक्तियां देने से किराएदार-मकान मालिक संबंधित मामलों क सुनवाई बुरी तरह प्रभावित होगी, जिन केसों के निपटारे में अभी दो साल का समय लग रहा है। अफसरशाही में जाने के बाद उन मामलों की सुनवाई में 20 साल का समय लगेगा। ऐसा होने से सिस्टम खराब हो जाएगा। इसके साथ एसडीएम कोर्ट में इंफ्रास्ट्रक्चर की भी कमी है। एसडीएम के पास पहले से शांति भंग करने वाले व बुजुर्गों वेल्फेयर से जुड़े मामले है। वहीं, जिला अदालत में 19 जज ऐसे है, जिनके पास रेंट एक्ट के मामले आते है।
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शहर में 47 प्रतिशत लोग किराएदार
साल 2011 की जनगणना के अनुसार के शहर में किराएदारों की संख्या लगभग 47 प्रतिशत है। इसके साथ लगभग 60 प्रतिशत कॉमर्शियल प्रॉपर्टी है। साल 2011 में यदि शहर में 47 प्रतिशत आबादी किराएदार थी तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि वर्तमान में आंकड़ा क्या होगा। अदालत में 1300 रेंट के मामले पेंडिंग है। वहीं, जिला अदालत में 48 सौ वकील पंजीकृत हैं, जिनमें 25 प्रतिशत वकील ऐसे रेंट के मामलों में विशेषज्ञ हैं।
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Chandigarh News: विवाद थमा… 25 दिन बाद आज काम पर लौटेंगे वकील