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दरअसल, किसी निर्माण या तकनीकी प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद एक निश्चित समय तक ठेकेदार पर यह जिम्मेदारी रहती है कि अगर उस काम में कोई खामी या खराबी सामने आती है तो वह उसे अपने खर्चे पर सुधारें। इसे ‘डिफेक्ट लायबिलिटी अवधि’ कहा जाता है। इस दौरान विभाग या सरकार नहीं बल्कि ठेकेदार ही सारी मरम्मत और सुधार का काम करता है।
15 साल तक काम करना है
मनीमाजरा में चल रहा यह 24×7 पानी सप्लाई प्रोजेक्ट मौजूदा पाइपलाइन नेटवर्क को दुरुस्त करने, नई लाइनों को बिछाने, स्मार्ट वॉटर मीटर लगाने, इलेक्ट्रो-मैकेनिकल और मॉनिटरिंग सिस्टम लगाने से जुड़ा है। इसके साथ ही ठेकेदार कंपनी को अगले 15 साल तक इस पूरे सिस्टम का संचालन और रखरखाव भी करना है। हालांकि इस प्रोजेक्ट की ऑडिट जांच भी चल रही है। नगर निगम सदन में इसको लेकर सवाल उठे थे , उसके बाद सांसद मनीष तिवारी ने भी इस प्रोजेक्ट पर सवाल उठाए। उसी के बाद अब ऑडिट जांच चल रही है।
आम आदमी पार्टी ने उठाए सवाल
समय सीमा छह महीने के लिए बढ़ाने पर आम आदमी पार्टी की पार्षद प्रेमलता ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि इस बात की क्या गारंटी है कि छह महीने में काम हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट से जुडे ठेकेदार और अधिकारी पर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जनता का पैसा बर्बाद न किया जाए। इसकी तकनीकी काम का थर्ड पार्टी ऑडिट किया जाए।
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Chandigarh News: मनीमाजरा में 24×7 पानी सप्लाई प्रोजेक्ट में कमियां दूर करने के लिए छह महीने का समय


