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चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जनप्रतिनिधि अधिनियम 2013 में संशोधन पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा है कि आखिर कैसे जो व्यक्ति वोट डालने के लिए योग्य नहीं है, उसे चुनाव लड़ने का अधिकार दिया जा सकता है।
याचिका दाखिल करते हुए चंडीगढ़ निवासी गणेश खेमका ने कहा था कि किसी भी अपराध के दोषी और सजा पाने वाले सभी लोगों को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दिया जाना चाहिए। याची ने कहा कि फिलहाल यह प्रावधान है कि जिस व्यक्ति को सजा मिलती है, उसे वोट डालने का अधिकार तो छिन जाता है, लेकिन वह चुनाव लड़ सकता है। सरकार ने 2013 में जनप्रतिनिधि एक्ट में संशोधन कर ऐसा प्रावधान कर दिया कि दोषी करार व्यक्ति वोट तो नहीं डाल सकता, लेकिन चुनाव लड़ जरूर सकता है। याची ने हाईकोर्ट से अपील की कि दोषी करार दिए गए और सजा पाने वाले किसी भी व्यक्ति को चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं होना चाहिए। ऐसा न करना संविधान में निहित समानता के अधिकार का उल्लंघन है। याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस पर आधारित खंडपीठ ने अब चुनाव आयोग से पूछा है कि कैसे अपराध करने वालों को वोट डालने का अधिकार नहीं है, लेकिन चुनाव लड़ने का है।
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Chandigarh News: जनप्रतिनिधि अधिनियम 2013 में संशोधन पर चुनाव आयोग से जवाब तलब