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पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट। – फोटो : अमर उजाला
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पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी कर्मचारी को सुनवाई का मौका दिए बिना बर्खास्त नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने कहा, मामले में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं किया गया और इसके साथ ही अदालत ने सेना को तीन माह के भीतर याचिकाकर्ता को बहाल करने का आदेश दिया।
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याचिका में सोनीपत निवासी रजनीश ने हाईकोर्ट को बताया कि सेना ने 399 जवानों की नियुक्ति निकाली थी। याची ने भी इन पदों के लिए आवेदन किया था। इसमें यह शर्त थी कि आवेदन के समय आपराधिक मामला यदि कोई है तो उसकी जानकारी देना अनिवार्य था।
याची ने पहले उसमें आपराधिक मामले को लेकर हां लिखा, लेकिन वह गिरफ्तार नहीं हुआ था तो इसे काट कर नहीं कर दिया। याची मेरिट में था और नवंबर, 2023 में नियुक्ति मिलने से पहले उसे सोनीपत की अदालत ने बरी कर दिया था। आपराधिक मामले की जानकारी मिलते ही याची को बिना सुनवाई का मौका दिए सेना ने नौकरी से निकाल दिया।
याची ने कहा कि जानकारी जिस तरह से मांगी गई थी उससे कुछ भी स्पष्ट नहीं था कि क्या पूछा जा रहा है। हाईकोर्ट ने कहा कि याची को नियुक्ति दी जा चुकी थी और ऐसे में उसे निकालने का आदेश गलत है। हाईकोर्ट ने सेना को आदेश दिया कि याची को कांस्टेबल के तौर पर तीन माह के भीतर नियुक्त किया जाए। हालांकि यह स्पष्ट किया कि इस अवधि के वेतन के लिए वह पात्र नहीं होगा।
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Chandigarh : पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला, कहा- सुनवाई का मौका दिए बिना कर्मचारी को नहीं कर सकते बर्खास्त