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चंडीगढ़ में मरीजों को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन ने 61 डॉक्टरों की तैनाती की है। ये सभी डॉक्टर डेपुटेशन पर हरियाणा, पंजाब व अन्य प्रदेशों से अगले तीन वर्षों के लिए बुलाए गए हैं। इससे मरीजों को जरूर राहत मिली है लेकिन अब भी व्यवस्था प्रभावित है। इसका प्रमुख कारण नर्सिंग ऑफिसर की संख्या का मानक से भी कम होना है।
पीजीआई, जीएमसीएच 32 और जीएमएसएच 16 में मौजूदा समय में मानक से आधे से भी कम नर्सिंग ऑफिसर के बल पर अस्पताल की व्यवस्था संभालने का प्रयास किया जा रहा है। इससे नर्सिंग ऑफिसर बेहद तनाव में हैं। उनका कहना है कि प्रशासन जान-बूझकर खाली पदों को नहीं भर रहा। वहीं नए पद सृजन की प्रक्रिया भी लंबित है। इससे काम के दबाव से वे बेहद तनाव में हैं। इससे जहां एक ओर अस्पताल की व्यवस्था प्रभावित हो रही है, वहीं दूसरी ओर मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा भी नहीं मिल पा रही है।
कोविड के बाद स्थिति हुई और खराब
स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत संचालित अस्पतालों में कोविड-19 के बाद स्थिति और खराब हो गई है। जीएमएसएच 16 में 700 बेड पर सिर्फ 350 नर्सिंग ऑफिसर तैनात है। नर्सिंग ऑफिसर का कहना है कि काम के दबाव के कारण उनकी स्थिति बदतर हो चुकी है। कोविड-19 के दौरान स्थिति पर नियंत्रण के लिए 200 से ज्यादा नर्सिंग ऑफिसर की तैनाती की गई थी, लेकिन उनकी सेवा समाप्त कर दी गई है जबकि कोविड का असर बरकरार है। ऐसे में एक-एक कर्मचारियों से 2 से 3 गुना ज्यादा काम लेना मजबूरी बन गई है।
जाने कब पद सृजन को मिलेगी हरी झंडी
पीजीआई और जीएमसीएच- 32 में नर्सिंग स्टाफ की संख्या में इजाफा के लिए कई साल पहले मंत्रालय में फाइल भेजी गई है लेकिन उसे स्वीकृति देने के बजाय कोई न कोई कमी निकालकर वापस कर दिया जा रहा है। जीएमसीएच-32 में 656 पद सृजन की फाइल 10 वर्षों से व पीजीआई में 1500 पद सृजन की फाइल 5 साल से लंबित है। जीएमसीएच 32 नर्सेज वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान डबकेश कुमार का कहना है कि अस्पताल प्रशासन यह चाहता ही नहीं कि नर्सिंग स्टाफ की संख्या बढ़े इसलिए पद सृजन की संस्तुति इंडियन नर्सिंग काउंसिल के मानकों की अनदेखी कर बनाया गया है, जिसे मंत्रालय स्वीकार नहीं कर रहा है। काम के दबाव से नर्सिंग ऑफिसर बेहद तनाव में हैं।
सिर्फ वार्ड ही नहीं, कई अन्य जिम्मेदारी है इनके कंधे पर
अस्पताल में सामान्य तौर पर 33 प्रतिशत नर्सिंग स्टाफ को अवकाश पर माना जाता है। वहीं इनके अलावा ड्यूटी पर तैनात स्टाफ को जनरल वार्ड ही नहीं आईसीयू, ट्रॉमा, ऑपरेशन थिएटर, इमरजेंसी और ओपीडी में भी ड्यूटी करनी पड़ती है। ऐसे में इनकी संख्या का सही आकलन अस्पताल के बेड से तीन गुना ज्यादा के आधार पर किया जाता है ताकि वार्ड समेत अन्य व्यवस्थाओं को इनकी मदद से सुचारू ढंग से संचालित किया जा सके लेकिन पीजीआई और जीएमसीएच-32 में यह आंकड़ा आधे से भी कम का है जबकि एम्स दिल्ली में ये काफी हद तक ठीक है। सबसे ज्यादा परेशानी पीजीआई में हो रही है। जहां ट्रॉमा व इमरजेंसी जैसी जगह पर आधे से भी कम नर्सिंग ऑफिसर मरीजों की जान बचाने के लिए जूझ रहे हैं।
ये अंतर कब होगा दूर
संस्थान बेड नर्सिंग स्टाफ की पोस्ट
एम्स दिल्ली 2486 5850
पीजीआई 2300 2572
जीएमसीएच-32 1450 774
जल्द होगी भर्ती
खाली पदों को भरने के साथ नए पद सृजित करने की प्रक्रिया अस्पताल स्तर पर पूरी की जा चुकी है। बनाई गई योजना में कुछ संशोधन के लिए प्रक्रिया लंबित है। वह भी शीघ्र ठीक कर ली जाएगी। – डॉ. सुधीर गर्ग, चिकित्सा अधीक्षक जीएमसीएच-32
नर्सिंग ऑफिसर समेत अन्य सभी खाली पदों को भरने की प्रक्रिया जारी है। जहां तक नए पद सृजन की बात है तो यह मंत्रालय स्तर पर स्वीकृत की जाएगी। -कुमार गौरव, डीडीए पीजीआई
डॉक्टरों के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत अन्य खाली पदों को भरने के लिए प्रशासन के निर्देशानुसार प्रक्रिया जारी है। -डॉ. सुमन सिंह, निदेशक स्वास्थ्य
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