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भिवानी। गांव कालुवास में विकास कार्यों की 72 लाख रुपये की सरकारी राशि गबन मामले में पूर्व सरपंच रमेश कुमार और ग्राम सचिव जितेंद्र को न्यायालय ने पांच-पांच साल की कैद और दस-दस लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जबकि चार अन्य दोषियों को तीन-तीन साल की कैद और पांच-पांच लाख रुपये जुर्माना की सजा दी है। जुर्माना राशि न भरने पर अतिरिक्त सजा का भी प्रावधान किया है।
कालुवास अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज विजेंद्र सिंह पैतृक गांव है। विजेंद्र सिंह के बड़े भाई मनोज बैनीवाल ने गांव कालुवास में विकास कार्यों के लिए सरकार से मिली 72 लाख रुपये की सरकारी ग्रांट के गबन मामले की शिकायत की थी। इस मामले की जांच विजिलेंस की टीम ने की थी, जिसमें पूर्व सरपंच और ग्राम सचिव ने मिलीभगत कर फर्जी हस्ताक्षरों और फर्जी फर्माें के सहारे 72 लाख रुपये को डकार लिया था। विजिलेंस की टीम ने इस संबंध में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम सहित धोखाधड़ी की धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी की गई।

एडिशनल सेशन जज संजीव आर्य की अदालत ने मंगलवार को इस मामले में दोषी करार दिए गए छह आरोपियों में कालुवास के पूर्व सरपंच रमेश कुमार और ग्राम सचिव जितेन्द्र को पांच-पांच साल की कैद और दस-दस लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। इसी तरह इस मामले में दोषी करार दिए गए आयरन स्टोर संचालक राजेश सिंगला, मार्बल स्टोर संचालक दिनेश, अर्थ मूवर हनुमान और जितेंद्र उर्फ जीतू को तीन-तीन साल की कैद और पांच-पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। अदालत ने जुर्माना राशि न भरने पर अतिरिक्त सजा का भी प्रावधान किया है।
ऐसे किया था 72 लाख रुपये की राशि का गबन
अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज विजेंद्र सिंह ने कॉमनवेल्थ या राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य और एशियाड खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। तत्कालीन भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार ने एशियाड खेलों में पदक जीतने पर 51 और कॉमनवेल्थ खेलों में कांस्य पदक जीतने पर विजेंद्र के गांव में विकास कार्यों के लिए 21 लाख रुपये दिए थे। दोनों खेलों की विजेता राशि मिलाकर 72 लाख का बजट सरकार ने ग्राम पंचायत के खाता में भेजा था। ये पैसा विजेंद्र सिंह व उसके परिजनों की सहमति के अनुसार ही गांव में खेल स्टेडियम बनाने या फिर विकास कार्यों में लगाने का प्रावधान किया था। लेकिन मिलीभगत कर पूर्व सरपंच और ग्राम सचिव ने फर्जी हस्ताक्षर और फर्जी फर्माें के सहारे ये पैसा बंटरबांट कर डकार लिया। इस मामले की भनक विजेंद्र सिंह के बड़े भाई मनोज बैनीवाल को लगी तो उसने इसकी शिकायत सरकार के समक्ष की। सरकार ने इसकी जांच हिसार विजिलेंस को सौंपी। हिसार विजिलेंस ने जांच में 72 लाख रुपये गबन मामले में 13 लोगों के खिलाफ सरकारी राशि गबन व धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था। इसमें न्यायालय में पेश किए चालान के बाद चार आरोपियों को दोष मुक्त कर दिया, जबकि 30 अगस्त को सुनवाई में न्यायालय ने पूर्व सरपंच, ग्राम सचिव सहित छह को दोषी करार दिया था।
विजेंद्र सिंह के गांव में हर हाल में बनाया जाए स्टेडियम
मनोज बैनीवाल ने कहा कि विजेंद्र सिंह ने विश्वभर में मुक्केबाजी में भिवानी को मिनी क्यूबा की पहचान दिलाई। ऐसे खिलाड़ी के पैतृक गांव में आज खेल मैदान तक नहीं है। गांव में युवा व खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने के लिए कालुवास में खेल स्टेडियम का निर्माण बेहद जरूरी है। इस खेल स्टेडियम का नाम भी अंतर राष्ट्रीय मुक्केबाज विजेंद्र सिंह के नाम पर होना चाहिए, ताकि युवा उनसे प्रेरणा लेकर खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ सकें। मनोज बैनीवाल ने कहा कि भ्रष्टाचार करने वालों को इस सजा से सबक लेना चाहिए कि सरकारी राशि का गबन करना उनके लिए कितना हानिकारक हो सकता है।
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Bhiwani News: 72 लाख डकारने वाले पूर्व सरपंच व ग्राम सचिव को पांच साल की कैद, दस-दस लाख जुर्माना की सजा