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Bhiwani News: श्रुति के लिए आसान नहीं होगा पैतृक गढ़ तोशाम को जीतना Latest Haryana News

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The first phase of assembly is not easy for BJP candidate Shruti

भिवानी के जुई में जनसंपर्क अभियान करतीं श्रुति चौधरी  और अन्य कार्यकर्ता। 

अनिल लांबा

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जूई (भिवानी)। तोशाम से लगातार चार बार विधायक बनने के बाद अब भाजपा से राज्यसभा पहुंच चुकी सांसद किरण चौधरी की बेटी पूर्व सांसद और हलके से भाजपा प्रत्याशी श्रुति के लिए विधानसभा की पहली डगर आसान नहीं होगी। उनके सामने अपनी ही पार्टी के नाराज नेताओं को मनाने की सबसे बड़ी चुनौती होगी। दूसरी तरफ किसान आंदोलन में भाजपा से खफा हुए लोगों को मनाना भी किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं होगा।

कांग्रेस छोड़ भाजपा में आई मां-बेटी के लिए भाजपा के पुराने और अपने कार्यकर्ताओं के बीच सामंजस्य बैठाना भी किसी चुनौती से कम नहीं होगा। इस बार कांग्रेस की तरफ से उनके भाई अनिरुद्ध चौधरी, कमल प्रधान, जिला परिषद की चेयरमैन अनीता मलिक, संजीत ख्यालिया में से कोई एक उम्मीदवार होंगे। वह मजबूती के साथ टक्कर देने का काम करेंगे।

तोशाम की सीट प्रदेश में हमेशा से चर्चित रही है जिस पर अधिकतर बंसीलाल परिवार और भाजपा सांसद धर्मबीर का ही कब्जा रहा है। इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल, सुरेंद्र सिंह, धर्मबीर सिंह ही निर्वाचित हुए हैं। तोशाम हलका कई साल तक प्रदेश में सत्ता का केंद्र बिंदु रहा है।

हेलिकॉप्टर दुर्घटना में पूर्व कृषि मंत्री सुरेंद्र सिंह की मौत के बाद इस सीट पर पिछले चार कार्यकाल से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में किरण चौधरी विधायक बन मंत्री तक रह चुकी हैं लेकिन अब उन्होंने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है। उनकी बेटी यहां से भाजपा प्रत्याशी हैं। ऐसे में अपने गढ़ को कायम रखने के लिए कांग्रेस जिताऊ उम्मीदवार को उनके सामने मैदान में उतारना चाहती है। हालांकि किरण ने मंत्री रहते और श्रुति ने सांसद रहते इस हलके में विकास की कोई कमी नहीं छोड़ी थी, लेकिन 10 साल से विपक्ष में रहने के कारण विकास कार्यों की गति पहले जैसी नहीं रही है।

कुल 2.20 लाख मतदाताओं में जाट समाज की बहुलता

तोशाम विधानसभा क्षेत्र में करीब 2.20 लाख मतदाता हैं, जिनमें जाट समाज की बहुलता होने के कारण हर बार इन्हीं का दबदबा कायम रहा है। कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार आने के अलावा जजपा से राजेश भारद्वाज को टिकट देने से मुकाबला रोचक होने की उम्मीद है। टिकट कटने से खफा भाजपा नेता एवं पूर्व प्रत्याशी शशि परमार ने भी आठ सितंबर को कैरू की मुंगीपा धर्मशाला में अपने कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई है जिसमें निर्दलीय चुनाव लड़ने पर फैसला होना है। भाजपा के ही रविंद्र बापोड़ा को भी कार्यकर्ता निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए कह रहे हैं। ये प्रत्याशी भी श्रुति के चुनाव जीतने में रोड़ा अटका सकते हैं। अभी इनेलो-बसपा की ओर से भी प्रत्याशी की घोषणा होनी है। हालांकि हाल के लोकसभा चुनाव में तोशाम हलके से भाजपा सांसद धर्मबीर सिंह कांग्रेस के राव दान सिंह से करीब सात हजार मतों से जीते थे। किरण और धर्मबीर सिंह की आपसी जुगलबंदी श्रुति के लिए उनकी विधानसभा की उनकी राह को आसान करने का काम कर सकती है।

हर कार्यकर्ता को साथ लेकर चलेंगे: श्रुति

हर कार्यकर्ता को साथ लेकर चलेंगे और विधानसभा चुनाव जीतेंगे। तोशाम मेरे दादा और पिता का भी विधानसभा क्षेत्र रहा है। उनके साथ भी मैंने पूरे इलाके में लोगों की दुख तकलीफ जानी है। हम सब यहां परिवार के सदस्य हैं। मेरा विधानसभा का ये पहला चुनाव है, लेकिन इससे पहले मैं यहां के लोगों की बदौलत सांसद रह चुकी हूं। -श्रुति चौधरी, भाजपा प्रत्याशी, तोशाम।

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