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Bhiwani News: भिवानी शहर की बाहरी कॉलोनियों में नहीं स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था Latest Haryana News

Bhiwani News: भिवानी शहर की बाहरी कॉलोनियों में नहीं स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था Latest Haryana News

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भिवानी। शहरी हद से बाहर तेजी से विकसित हुईं 45 से अधिक कॉलोनियों में शाम ढलते ही अंधेरा छा जाता है। यहां तक नगर परिषद की कोई सुविधा नहीं पहुंच रही है। वजह अनधिकृत दायरा। हालांकि यहां कॉलोनाइजर अब भी तेजी से प्लाॅट काट रिहायशी आबादी को बढ़ाने में जुटे हैं, लेकिन यहां असुविधाओं का ही बसेरा है।

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शहर के हांसी रोड पर बीडी गुप्ता पार्क के पीछे काफी ऐसी कृषि भूमि है, जहां पर अनधिकृत रूप से घनी आबादी आबाद हो रही है। जिला नगर योजनाकार भी अब यहां पीला पंजा चलाकर भूल गई है। यही हाल कोंट रोड और लोहारू रोड पर भी है। इन कॉलोनियों में अब जनसुविधाओं की दरकार है। यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि वोट देकर सरकार चुनते हैं मगर फिर भी सुविधाओं की दरकार है।

चुनाव के समय इन हिस्सों में नेताओं की सक्रियता भी बढ़ जाती है, इन लोगों से वोट हासिल करना बेहद आसान है, क्योंकि इन्हें सुविधाओं के केवल सब्जबाग दिखाने हैं। लोग भी अब समझ गए हैं कि उन तक सुविधाएं पहुंचाना आसान नहीं है। नेता आसानी से वोट तो ले लेते हैं। मगर बाद में यहां उनका हाल जनने तक नहीं आते हैं।

शहरी वार्डबंदी में शहरी हद बढ़ाई गई थी, लेकिन इसके बावजूद भी शहर के चारों तरफ आसपास के गांवों की कृषि भूमि में अब तेजी से रिहायश बढ़ रही है। ये लोग खुद को शहरी आबादी का ही हिस्सा मान रहे हैं, जबकि भूमि गांव की है। ऐसे में इन लोगों की जनसुविधाओं के लिए राह आसान नहीं है।

शहरी दायरे के बाहर अनधिकृत कॉलोनी कहकर कोई भी सरकारी योजना यहां तक नहीं आती। अधिकारी भी यहां के हालातों को देखकर मुंह मोड़ लेते हैं। यहां रहने वाले लोगों के राशन कार्ड और वोट बने हैं। चुनाव में मतदान भी करते हैं, लेकिन सुविधाओं के मामले में ये हिस्सा शहरी दायरे से कटा है। लोगों ने लाखों खर्च कर अच्छे मकान भी बनाए हैं, मगर बाहर कच्ची गली और स्ट्रीट लाइट तक नहीं है। – सलीम रुद्रा कॉलोनी वासी।

शहर की आबादी तेजी से बढ़ रही है। इसी के साथ शहरी दायरा भी चारों तरफ फैल रहा है। सरकार को चाहिए कि दायरा बढ़ने के साथ ही सुविधाओं का भी विस्तार करे। जो कॉलोनी तीन दशक से अधिक पुरानी हैं, उन्हें नियमित कर यहां रहने वालों को सुविधा मिले, लेकिन अधिकारी और सरकार दोनों ही इस दिशा में उदासीन है। सुविधाओं के लिए लोग तरस रहे हैं। – सोनू शहरवासी।

लाखों खर्च कर मकान बनाने वाले लोगों को यह उम्मीद थी कि शहर में आने के बाद देर सबेर सुविधाएं तो मिल ही जाएंगी। लेकिन यह इतना आसान नहीं है। दशकों से लोग यहां असुविधाएं झेल रहे हैं। उन्हें न तो पक्के रास्ते मिले हैं न सीवर और पीने को स्वच्छ पानी। स्ट्रीट लाइट के अभाव में यहां शाम ढलते ही अंधेरा छा जाता है। बाहरी इलाका होने की वजह से चोरी का भी भय रहता है। – मनोरमा महिला।

शहरी दायरे में नई वार्डबंदी के बाद भी काफी हिस्से की आबादी को छोड़ दिया है। जहां तक कोई भी जनसुविधा नहीं है। इन हिस्सों के लोग भी शहरी दायरे का हिस्सा ही मानते हैं। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि उन कॉलोनियों के लिए भी स्पेशल प्लान बने, जो अबतक अधिकृत नहीं की गई हैं। इन कॉलोनियों में रहने वाले लोग भी सुविधाओं के हकदार हैं। – गुलजार शहवासी।

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