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अनिल लाम्बा
जूई। तोशाम विधानसभा सीट पर इस बार बंसीलाल के पोते और पोती के साथ-साथ निर्दलीय प्रत्याशी शशीरंजन परमार व जेजेपी के राजेश भारद्वाज के बीच कड़ा मुकाबला बना है। क्रिकेट प्रशासक से नेता बने अनिरुद्ध चौधरी कांग्रेस से मैदान में हैं। अनिरुद्ध चौधरी का मुकाबला अपनी चचेरी बहन और पूर्व सांसद श्रुति चौधरी से है। लेकिन बहन-भाई का चुनावी गणित निर्दलीय प्रत्याशी शशी परमार व जेजेपी प्रत्याशी राजेश भारद्वाज बिगाड़ सकते हैं।
इस बार तोशाम का रण रोमांच की पराकाष्ठा पार करेगा। हरियाणा की तोशाम विधानसभा सीट राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत बंसीलाल के परिवार का गढ़ है। इस सीट से बंसीलाल का परिवार साल 1967 से अब तक 14 बार चुनावी मैदान में उतरा है। इस सीट से बंसीलाल परिवार ने 12 बार जीत दर्ज की है। भाजपा सांसद धर्मबीर सिंह ने 1987 में बंसीलाल को विवादित तरीके से और 2000 में बंसीलाल के पुत्र सुरेंद्र सिंह को हराया था। बंसीलाल ने कुल सात बार यहां से चुनाव लड़ा और छह बार जीत हासिल की। यहीं से जीतकर बंसीलाल चार बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने थे।
बंसीलाल के बाद उनके बेटे सुरेंद्र सिंह ने कुल चार बार यहां से चुनाव लड़ा और तीन बार जीत दर्ज की। साल 2005 में सुरेंद्र सिंह के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ और उनकी पत्नी किरण चौधरी ने जीत दर्ज की। साल 2009 से लेकर 2019 तक इस सीट पर किरण चौधरी का ही कब्जा रहा। वहीं इस बार तोशाम विधानसभा सीट पर बंसीलाल परिवार बनाम बंसीलाल परिवार मुकाबला होने के साथ-साथ निर्दलीय विधायक शशी परमार व जेजेपी प्रत्याशी राजेश भारद्वाज के गुणा भाग पर भी निर्भर करेगा।
बंसीलाल के पोते और पोती में टक्कर
तोशाम विधानसभा सीट पर इस बार बंसीलाल के पोते अनिरुद्ध चौधरी और उनकी चचेरी बहन और पूर्व सांसद श्रुति चौधरी में टक्कर है। श्रुति चौधरी को भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। श्रुति चौधरी बंसीलाल के छोटे बेटे दिवंगत सुरेंद्र सिंह और भाजपा नेता किरण चौधरी की बेटी हैं। अनिरुद्ध चौधरी, रणबीर सिंह महेंद्र के बेटे हैं। महेंद्र, बंसीलाल के बड़े बेटे हैं।किरण चौधरी ने जून में बेटी श्रुति चौधरी और अपने समर्थकों के साथ भाजपा का दामन थाम लिया था। श्रुति चौधरी कांग्रेस की हरियाणा इकाई की कार्यकारी अध्यक्ष थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि हरियाणा में पार्टी की राज्य इकाई को व्यक्तिगत जागीर के रूप में चलाया जा रहा था। भाजपा ने किरण चौधरी को राज्यसभा भेज दिया है।
अनिरुद्ध चौधरी पहली बार लड़ रहे हैं चुनाव
48 साल के अनिरुद्ध चौधरी ने तोशाम सीट से पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। यहां के युवाओं का साथ मिल रहा है। बतौर अनिरुद्ध टिकट की दौड़ वाले सभी कांग्रेस नेता भी सब खुलकर साथ दे रहे हैं। अपनी चाची पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा था कि मेरी चाची किरण चौधरी नहीं चाहती थी कि मैं तोशाम से चुनाव लडूं। भाजपा में जाकर चाची ने मुझे राजनीतिक तौर पर बहुत मजबूत बना दिया है।
श्रुति चौधरी को राजनीति का अच्छा खासा अनुभव
श्रुति चौधरी को राजनीति का अच्छा खासा अनुभव है और साल 2009 में वो लोकसभा चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बनीं थी। हालांकि साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वहीं साल 2024 में कांग्रेस ने उनको टिकट ही नहीं दी थी। अब वो भाजपा से तोशाम से प्रत्याशी है। अब देखना ये है कि इस विधानसभा चुनाव में भाजपा से बगावत कर चुके शशीरंजन परमार निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़कर क्या गुल खिलाते हैं। जजपा से ब्राह्मण पर दांव खेला गया है जिसमें राजेश भारद्वाज भी तोशाम सीट पर बहन-भाई का खेल बिगाड़ने में अपनी अहम भूमिका निभाएगा। अबकी बार बहन भाई में बाजी कोन मारता है भविष्य बताएगा। तोशाम में मुकाबला आमने सामने का न होकर चार जगह देखने को मिलेगा। क्या दोनों भाई बहन अपने पैतृक गढ़ को बचा पाएंगे ये देखने वाली बात होगी।

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Bhiwani News: बंसीलाल परिवार के पोते व पोती का गणित बिगाड़ सकते हैं निर्दलीय शशीरंजन परमार और जेजेपी प्रत्याशी राजेश भारद्वाज