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अमर उजाला के 6 जनवरी के समाचार में प्रकाशित समाचार।
भिवानी। कोर्ट के स्टे ऑर्डर के बावजूद भूमि की रजिस्ट्री कराए जाने के मामले की जिला राजस्व अधिकारी ने जांच शुरू कर दी है। इसके लिए जिला राजस्व अधिकारी ने संबंधित लोगों को नोटिस जारी कर तलब किया है। वहीं संबंधित पटवारी से भी विवादित भूमि से जुड़े विस्तृत रिकॉर्ड की रिपोर्ट मांगी है।
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सिविल कोर्ट में यथास्थिति के आदेश के बावजूद जिला राजस्व अधिकारी कार्यालय में भूमि की रजिस्ट्री कराए जाने का मामला सामने आया था। इस मामले में छह जनवरी को अमर उजाला ने अदालत से स्टे मिलने के बावजूद बेच डाली बेशकीमती जमीन शीर्षक के साथ प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद संबंधित कर्मचारियों में भी हड़कंप मच गया। नया बाजार क्षेत्र में खारिया कुआं और चिमनलाल मंदिर की भूमि को लेकर 2016 से विवाद चल रहा है। जिसका मामला भी सिविल कोर्ट में लंबित है। जिस पर 14 जनवरी को सुनवाई होनी है।
हांसी गेट से नया बाजार मार्ग पर बर्फ फैक्टरी के सामने खारिया कुआं और चिमनलाल मंदिर भूमि को लेकर अगस्त 2016 से विवाद चल रहा है। मामला सिविल कोर्ट में भी चल रहा है। इससे पहले इस भूमि को लेकर न्यायालय और रजिस्ट्रार कार्यालय की तरफ ये भूमि की बिक्री नहीं किए जाने व किराये पर नहीं दिए जाने संबंधी आदेश दिए हुए हैं। इसके बावजूद भूमि के खसरा नंबर 286 में पश्चिमी बंगाल निवासी एक महिला ने लोहड़ जोन में चार मरला चार सरसाई भूमि को बेच डाला। इसकी रजिस्ट्री भी दिसंबर में जिला राजस्व अधिकारी द्वारा की गई।
ये मामला तब उजागर हुआ जब एक नंबरदार ने तहसीलदार को खसरा नंबर 286 में की गई विरासत इंतकाल की रिपोर्ट को खारिज करने का शपथ पत्र दे डाला। हालांकि भूमि की खरीद करने वालों ने भी अपना पक्ष रखते हुए नियमानुसार भूमि की खरीद का दावा किया। लेकिन राजस्व रिकॉर्ड में तहसील अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से कई बार छेड़छाड़ किए जाने की बातें भी सामने आई हैं। अगर इस मामले की जिला प्रशासन या विजिलेंस से विस्तृत जांच हो तो कई राजस्व विभाग के कई बड़े मगरमच्छ और मछलियां भी लपेटे में आ सकती हैं। फिलहाल मामले को दबाने के लिए भी संबंधित कर्मचारी जुट गए हैं। वहीं अधिकारियों ने इसकी जांच शुरू कर दी है।
मैंने जिला राजस्व अधिकारी को भिवानी रजिस्ट्रार कार्यालय के इस मंदिर की भूमि को यथास्थिति संबंधी आदेश भेजकर अवगत करा दिया है। जबकि भिवानी तहसील कार्यालय के कर्मचारियों व अधिकारियों ने मिलीभगत कर चार जुलाई 2017 को कलेक्टर भिवानी के आदेशों को ही गायब कर डाला है। इस रिपोर्ट को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया जबकि बड़े स्तर पर खारिया कुआं व मंदिर से जुड़ी भूमि रिकॉर्ड में मनमर्जी से नियमों को ताक पर रखकर रिपोर्ट दर्ज की गई हैं। जिससे साफ जाहिर है कि आरोपियों ने अधिकारियों से मिलीभगत कर ये गड़बड़झाला किया है। जबकि चार दिसंबर 1999 को सिविल कोर्ट ने भी इस भूमि से संबंधित फैसला दिया हुआ है। इसके अनुसार इसे न तो बेचा जा सकता है न किराये पर दिया जा सकता है। ये मंदिर की संपत्ति है। – बृजपाल सिंह परमार, अध्यक्ष, स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन, भिवानी।
मेरे पास एक व्हाट्सएप पर भिवानी कलेक्टर के फैसले की कॉपी भेजी गई थी। मैंने खसरा नंबर 286 से संबंधित भूमि की रजिस्ट्री मामले में संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर तलब किया है। मैं खुद इसकी जांच कर रहा हूं। संबंधित पटवारी से भी मैंने इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर जांच की जा रही है। जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी। -सुरेश कुमार, जिला राजस्व अधिकारी, भिवानी।
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Bhiwani News: कोर्ट के स्टे ऑर्डर के बाद रजिस्ट्री मामले में अब जिला राजस्व अधिकारी ने शुरू की जांच