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Bhiwani News: बवानीखेड़ा में जीत की हैट्रिक तो भिवानी विधानसभा में लगा चौका, तोशाम में खुला भाजपा का खाता Latest Haryana News

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BJP's account opened in Tosham

​भिवानी शहर में भाजपा की जीत पर खुशी मनाते कार्यकर्ता।

संजय वर्मा

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भिवानी। विधानसभा चुनाव के नतीजों से भिवानी जिले में कई नए कीर्तिमान बन गए हैं। भाजपा ने बवानीखेड़ा में जीत की हैट्रिक तो भिवानी में चौका लगाया। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल के गढ़ में किरण चौधरी और श्रुति चौधरी के सहारे भाजपा को पहली दफा यहां से जीत मिली है। बवानीखेड़ा और तोशाम में प्रत्याशियों के उलटफेर के बावजूद भी भाजपा यहां से अपनी सीट बचाने में कामयाब रही है। जबकि कार्यवाहक वित्त मंत्री जयप्रकाश दलाल के गढ़ लोहारू में भाजपा के लिए अच्छी खबर नहीं आई। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी राजबीर फरटिया ने जीत हासिल की, लेकिन इसके बावजूद यहां देर रात तक पुन: मतगणना हो रही है।

तोशाम हॉट सीट पर भाजपा की जीत से बढ़ा किरण और श्रुति चौधरी का राजनीतिक कद

पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल के गढ़ तोशाम हॉट सीट पर भाजपा में शामिल होने के बाद राज्यसभा सदस्य बनी किरण चौधरी और पहली दफा विधानसभा चुनाव में उतरी श्रुति चौधरी के सहारे भाजपा यहां हरियाणा गठन के बाद पहली बार कमल खिलाने में कामयाब रही है। तोशाम हॉट सीट पर भाजपा की जीत के साथ ही किरण चौधरी का यहां से राजनीतिक कद बढ़ गया है। वहीं बेटी भी लगातार दो बार लोकसभा चुनाव की हार के बाद तोशाम से विधायक चुनी गई हैं। श्रुति चौधरी का भी तोशाम सीट से जीत दर्ज करने के बाद राजनीतिक कॅरिअर बच गया है। कयास ये भी है कि किरण और श्रुति यानी मां बेटी की जोड़ी तोशाम के विकास को पंख लगाने के लिए सूबे की सरकार में मंत्री पद पाने की भी कोशिश करेंगी। इससे यहां के पिछड़ेपन को दूर किया जा सकेगा। तोशाम से 2005 से 2024 तक कांग्रेस की टिकट पर किरण ही यहां से विधायक रही हैं। अब उनकी बेटी श्रुति चौधरी ने यहां के लोगों का विश्वास जीता है। श्रुति पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के विकास की सोच को यहां से आगे बढ़ाएंगी।

पहली दफा शहरी दायरे से बना बवानीखेड़ा में विधायक

बवानीखेड़ा में भी भाजपा लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करने में सफल रही है। इससे पहले दो योजनाओं में यहां से बिशंबर वाल्मीकि विधायक और एक योजना राज्य मंत्री रहे हैं। जबकि अब तीसरी बार भी यहां से कपूर सिंह वाल्मीकि ने भाजपा की जीत की हैट्रिक लगा दी है। कपूर सिंह वाल्मीकि कस्बा बवानीखेड़ा से जीत दर्ज करने वाले पहले विधायक भी बने हैं, क्योंकि अब तक बवानीखेड़ा के ग्रामीण क्षेत्र से ही विधायक बनते रहे हैं। इस बार भाजपा ने यहां दिग्गज नेता की बजाए नए चेहरे पर विश्वास जताया था, जिस पर चुनाव में जहां की जनता ने मुहर लगा दी है। पहली दफा विधायक बने कपूर सिंह वाल्मीकि अब तक कस्बा में वार्ड पार्षद और नगरपालिका के चेयरमैन ही रहे हैं।

लोहारू में जेपी की राजनीति पर भारी पड़े फरटिया

लोहारू विधानसभा क्षेत्र में प्रदेश में कृषि और वित्त मंत्री रह चुके जयप्रकाश दलाल की राजनीति पर कांग्रेस प्रत्याशी राजबीर फरटिया भारी पड़ गए। राजबीर फरटिया पिछले काफी सालों से लोहारू क्षेत्र में सामाजिक गतिविधियां चला रहा था। इससे पहले राजबीर फरटिया पंचायती चुनाव में ही भागेदारी निभाता रहा था। लेकिन पहली दफा विधायक की दौड़ में शामिल हुआ और प्रदेश के कार्यवाहक वित्त मंत्री को पछाड़ दिया। सूबे के वित्त मंत्री के बारे में भी यह माना जाता रहा है कि दूसरी बार कोई भी वित्त मंत्री अपनी सीट से जीत दर्ज नहीं कर पाया। ऐसे में राजबीर फरटिया कांग्रेस की शाख बचाने वाला जिले में इकलौता विधायक बना है।

भिवानी में भाजपा की जीत का चौका, घनश्याम सर्राफ की 15 साल की राजनीति में अब पांच साल और जुड़े

भिवानी में भी भाजपा ने लगातार चौथी बार कमल खिलाते हुए चौका लगा दिया। घनश्याम सर्राफ की 15 साल की विधायकी और राजनीतिक कॅरिअर में अब पांच साल और जुड़ गए हैं। भाजपा के विधायक घनश्याम सर्राफ का संकल्प है कि वो भिवानी विधानसभा के विकास में अब तेजी से काम कराएंगे। क्योंकि काफी विकास योजनाएं प्रक्रिया में बनी हैं, जिन्हें जल्द अमलीजामा पहनाया जाएगा। वहीं भाजपा के लिए अब भिवानी विधानसभा सीट सेफ सीट मानी जाने लगी है। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को ही यहां से बढ़त मिली थी।

किरण का बढ़ गया कद, जेपी को मिली निराशा

भिवानी जिले की राजनीतिक में भाजपा से राज्यसभा सांसद किरण चौधरी का कद पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है। क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल की राजनीतिक विरासत को संभालने वाली किरण चौधरी ने अपनी बेटी को तोशाम हॉट सीट पर विधायक बनाने का सपना भी साकार कर लिया है। भाजपा में आने से पहले ही राजनीतिक चाणक्य जो कयास लगा रहे थे वो अब एक-एक कर साकार हो रहे हैं। वहीं लोहारू से कृषि और वित्त मंत्री रहे जयप्रकाश दलाल की हार के साथ ही उनका राजनीतिक कद कम जरूर होगा। क्योंकि राजबीर फरटिया विधायक बनने से पहले ही यहां की जनता का विश्वास सामाजिक कार्यों की बदौलत जीत चुका है।

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