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नगरपालिका कार्यालय बराड़ा। आर्काइव – फोटो : udhampur
पूर्ण सिंह
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बराड़ा। ग्राम पंचायत से नगर पालिका बना बराड़ा पिछले कई वर्षों से विकास की बाट जोह रहा है। नगर पालिका का बराड़ा के गठन के बाद भाजपा समर्थित जनप्रतिनिधियों ने इसकी बागडोर संभाली, मगर विकास नहीं करा सके। ऐसे में इस बार बराड़ा नगर पालिका में सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा विकास ही है। नगर पालिका में चेयरमैन पद पर भाजपा ने हरजिंदर सिंह को मैदान में उतारा है।
वहीं, भाजपा से बगावत कर रजत मलिक आजाद प्रत्याशी के तौर पर टक्कर दे रहे हैं। इसी प्रकार आजाद प्रत्याशी डॉ. कुलदीप शर्मा, आजाद प्रत्याशी रीटा केसरी, बलजीत सिंह, ओमप्रकाश शर्मा और दविन्द्र कुमार भी मैदान में हैं। राजनैतिक समीकरणों को देखें तो बराड़ा पालिका में चेयरमैन पद पर त्रिकोणीय मुकाबला दिखाई दे रहा है।
भाजपा के हरजिंदर सिंह को आजाद रजत मलिक और डॉ. कुलदीप से कड़ी टक्कर मिल रही है। नगर पालिका बराड़ा में कुल 19479 मतदाता हैं। जिसमें 10110 पुरुष तो 9369 महिला मतदाता हैं।
वर्ष 2015 में ग्राम पंचायत से नगर पालिका बनी थी बराड़ा
नगर पालिका बराड़ा का गठन वर्ष 2015 में हुआ था। पालिका बनने के बाद पहला चुनाव 24 सितंबर 2017 में हुआ था। इससे पहले बराड़ा ग्राम पंचायत थी। नगर पालिका गठन के साथ यहां 15 वार्ड बनाए गए थे। उस समय पार्षदों ने रमा खेत्रपाल को चेयरमैन चुना था। जोकि भाजपा समर्थित थीं। इसके कुछ समय बाद रिचा पहवा को चेयरमैन बनाया गया था। एक कार्यकाल में दो चेयरमैनों ने कार्य संभालने का मौका मिला फिर भी बराड़ा में विकास आज भी अधूरा है।
कांग्रेस ने छोड़ा चुनावी गढ़
बराड़ा नगर पालिका मुलाना विधानसभा के अंतर्गत आती है। मुलाना में भाजपा और कांग्रेस की कड़ी टक्कर रही है। यहां से कई वर्षों से कांग्रेस का दबदबा रहा है। हाल ही में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से वरुण चौधरी सांसद बने, उनकी पत्नी पूजा चौधरी विधायक चुनीं गईं। इसके बावजूद कांग्रेस ने बराड़ा में अपना कोई प्रत्याशी ही नहीं उतारा। ऐसे में भाजपा के लिए मैदान खाली छाेड़ने का काम किया है। वहीं भाजपा अपने संगठन और जातीय समीकरण के बल पर मैदान में प्रतिद्वंदियों काे ललकार रही है।