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अंबाला सिटी। भाजपा ने शहर विधानसभा सीट से तीसरी बार असीम गोयल को चुनावी मैदान में उतार दिया है। इनके सामने जीत की हैट्रिक लगाने की चुनाैती रहेगी। अभी कांग्रेस के उम्मीदवार की घोषणा नहीं हुई है। छावनी और शहर दोनों सीटों पर विधानसभा चुनावों में मुकाबले हमेशा रोचक रहे हैं।
आंकड़ों की बात करें तो सिटी सीट पर भाजपा दो बार तो छावनी सीट पर एक बार भाजपा प्रत्याशी की जमानत जब्त हो चुकी है। कांग्रेस की दोनों सीटों पर एक-एक बार जमानत जब्त हुई थी। हाईकोर्ट के वकील हेमंत कुमार बताते हैं कि पांच वर्ष पहले अक्टूबर, 2019 में पहली बार ऐसा हुआ था कि ट्विनसिटी की दोनों विधानसभा सीटों शहर और छावनी पर कांग्रेस के उम्मीदवारों जसबीर मलौर और वेणु सिंगला जमानत नहीं बचा पाए थे। इसका कारण शहर और कैंट दोनों विधानसभा सीटों से कांग्रेस के बागी उम्मीदवार और पिता-पुत्री की जोड़ी अर्थात निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा का चुनाव मैदान में उतरना था।
कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर टिकट नहीं मिलने के कारण निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उक्त सीटों पर चुनाव लड़ना। शहर विधानसभा सीट से निर्मल सिंह ने 55 हजार 944 वोट अर्थात 36.38 फीसद वोट लेकर दूसरे नंबर पर रहे थे, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार जसबीर मलौर को केवल 20 हजार 91 अर्थात केवल 13 फीसद वोट ही मिल सके थे। भाजपा के असीम गोयल ने निर्मल सिंह को आठ हजार 952 वोटों से पराजित किया था।
कैंट विधानसभा सीट पर पिछली बार चित्रा सरवारा ने 44 हजार 406 अर्थात 36.48 फीसद वोट प्राप्त कर चुनाव परिणाम में दूसरे नंबर पर रही थीं, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार वेणु सिंगला को केवल आठ हजार 534 अर्थात केवल सात फीसद ही वोट मिल सके थे। उस चुनाव में भाजपा के अनिल विज ने चित्रा को 20 हजार 165 वोटों से हराया था।
बहरहाल, जहां तक शहर विधानसभा की बात है तो आज तक यहां 13 चुनावों में भाजपा ने आठ बार और कांग्रेस ने पांच बार जीत हासिल की है। वर्ष 2019 में जसबीर मलौर से पहले शहर हलके से कांग्रेस उम्मीदवार की कभी भी जमानत जब्त नहीं हुई थी हालांकि वर्ष 2005 में भाजपा की दिवंगत नेत्री वीना छिब्बर और वर्ष 2009 भाजपा के डॉ.संजय शर्मा दोनों शहर हलके से जमानत नहीं बचा पाए थे। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे विनोद शर्मा (वर्तमान में हरियाणा जनचेतना पार्टी-वी के सुप्रीमो) के नाम वर्ष 2005 में वीना छिब्बर और वर्ष 2009 में डॉ. संजय शर्मा की विधानसभा आम चुनावों में जमानत जब्त कराने का रिकॉर्ड है।
इसी प्रकार छावनी विधानसभा में भी कांग्रेस पार्टी ने पांच बार और भाजपा ने सात बार जीत हासिल की जबकि दो बार वर्ष 1996 और वर्ष 2000 में अनिल विज निर्दलीय के तौर पर चुनाव यहां से जीते थे। विज ने चार बार भाजपा के टिकट पर सर्वप्रथम मई, 1990 में हुए उपचुनाव में और वर्ष 2009, 2014 और 2019 में तीन बार जीत की हैट्रिक लगाई थी।
हेमंत ने बताया कि आज तक अंबाला कैंट में केवल वर्ष 2005 विधानसभा आम चुनाव में भाजपा से चुनाव लड़ रहे रवि सहगल इस सीट पर जमानत राशि नहीं बचा पाए थे जब निर्दलीय प्रत्याशी दिवंगत हीरा लाल यादव को भाजपा से अधिक वोट मिले थे। उस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार एडवोकेट देवेन्द्र बंसल ने निर्दलीय चुनाव लड़ रहे अनिल विज को मात्र 615 वोटों से हराया था।
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