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अंबाला। टांगरी बांध के साथ बसी कॉलोनियां आज भी मूलभूत सुविधाओं में पिछड़ी हैं। यही कारण है कि न तो यहां आजतक नालियों का निर्माण हो पाया है, न सड़कों का और न ही सीवर पाइप का काम।
यहां के हालात देखकर ऐसा लगता है कि मानो आज भी लोग पिछड़े क्षेत्रों में रह रहे हों। मेहनत और खून-पसीने से खरीदे गए प्लॉट और फिर उसके ऊपर मकान का निर्माण स्थानीय लोगों के गले की फांस बन गया है। अब न यहां रहते बनता है और न मकान छोड़ते क्योंकि दूसरी जगह पर प्लॉट के रेट इतने अधिक हैं कि दिहाड़ीदार श्रमिक के लिए यह नामुमकिन है।
ऐसी परेशानी न्यू लक्की नगर सहित बांध किनारे बसी दर्जनों कॉलोनियों के निवासियों को झेलनी पड़ रही है। इस समस्या का स्थाई समाधान आजतक कोई सरकार नहीं कर पाई। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि टांगरी बांध पर जो सड़क बनाई गई है, वो 10 से 15 फुट ऊंची है। इससे यह प्रतीत होता है कि टांगरी नदी के साथ रहने वाले मर जाएं और सड़क के दूसरी तरफ के लोग बच जाएं। उन्होंने कहा कि जब भी टांगरी में पानी आता है तो सबसे पहले मार उन्हें झेलनी पड़ती है क्योंकि सड़क के बनने से पानी की निकासी नहीं हो पाती और यह नीचले क्षेत्रों में जलभराव की समस्या खड़ी कर देता है।
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लोगों की जान आफत में
स्थानीय निवासी अनिल कुमार का कहना है कि टांगरी बांध पर इतनी ऊंची सड़क बना दी गई कि अगर नदी में पानी आया तो भी वो छावनी क्षेत्र में नहीं घुस पाएगा। ऐसा प्रतीत होता है कि इतनी ऊंची सड़क का निर्माण तटबंध के रूप में किया गया है, जिससे कि यहां रहने वाले लोगों की जान आफत में आ जाए और दूसरों की बच जाए।
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घर से बाहर निकलना मुश्किल
स्थानीय निवासी कंचन कहती हैं कि बारिश के कारण तो घर से निकलना मुश्किल हो जाता है। सबसे बड़ी परेशानी तो उस समय खड़ी होती है, जब आसपास के खाली प्लाट पानी से भर जाते हैं और फिर यह पानी ओवरफ्लो होकर उनकी गलियों में घुस जाता है जोकि दो-दो महीन तक गली में ही रहता है। इस पानी के बीच ही बच्चे स्कूल और दिहाड़ीदार लोग काम पर जाते हैं।
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मकान बनाकर पक्षता रहे
स्थानीय निवासी सिकंदर कुमार ने कहा कि मेहनत-मजदूरी करके एक छोटा प्लाट लिया था कि किराये के मकान में रहना न पड़े। अगर पता होता कि यहां के हालात बद से बद्दतर हैं तो कभी भी प्लॉट नहीं लेते और न इस पर मकान बनाते। जब भी बारिश आती है तो गलियों में पानी भर जाता है जो कई-कई महीनों तक नहीं निकलता।
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वर्जन
भाजपा सरकार के कार्यकाल में सब जगह एक समान विकास कार्य हुए हैं। कहीं भी कोई भेदभाव नहीं हुआ। कुछ कॉलोनियों को अवैध से वैध करने की प्रक्रिया चल रही है। आचार संहिता के कारण काम कुछ लंबित है। कॉलोनियों को मान्यता मिलते ही यहां भी विकास कार्याें की झड़ी लगा दी जाएगी।
अजय बवेजा, उपाध्यक्ष कैंट बोर्ड, भाजपा।
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वर्जन
टांगरी बांध के साथ बसी कॉलोनियों में आज भी लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं। इस कारण उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पिछले 10 साल भाजपा के शासनकाल में भी उन्हें कोई सौगात नहीं मिल पाई। आज भी यहां पक्की सड़कें व नालियां नहीं हैं। बारिश के दौरान यहां के हालात बद से बद्दतर हो जाते हैं।
वीरेंद्र गांधी, पूर्व पार्षद कैंट बोर्ड।
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