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अंबाला। वर्ष 1978 की भयावह त्रासदी के बावजूद सरसेहड़ी और चंदपुरा गांव में 49 साल बाद भी बांध नहीं बन पाया और न ही आज तक भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूर हो पाई। जबकि पिछले वर्ष 2023 में आई बाढ़ में के दौरान सात मौतें भी हो गई थी और सरकार ने प्रत्येक परिवार को इसके लिए चार लाख रुपये का मुआवजा भी प्रदान किया है।
बावजूद इसके पिछले 10 साल सरकार में रही कांग्रेस पार्टी और अब 10 साल से सरकार में रही भाजपा सरकार भी इस समस्या का समाधान नहीं कर पाई। अगर ऐसे ही हालात रहे और फिर बाढ़ आई तो मौतों का आंकड़ा कई गुणा अधिक होगा। उक्त जानकारी टांगरी बांध किनारे बसी कॉलोनियों के वासियाें ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए दी।
उन्होंने कहा कि इस समस्या के समाधान को लेकर उन्होंने संतरी से लेकर मंत्री तक गुहार लगाई, लेकिन कोई भी समाधान नहीं हो पाया। आज भी जब बारिश आती है या टांगरी नदी में पानी आता है तो उनकी नींद हराम हो जाती है। कभी सामान को सुरक्षित रखने के लिए इधर-उधर भटकते हैं तो कभी परिजनों के लिए खाने-पीने के सामान का बंदोबस्त करने के लिए पुरजोर प्रयास करते हैं लेकिन किसी भी सरकार और नुमाइंदे ने उनकी सुध नहीं ली और आज भी यह समस्या जस की तस है।
लोगों का यह भी आरोप है कि विधानसभा चुनावों को लेकर किए जा रहे दावों में किसी भी पार्टी ने टांगरी में पक्के तट बंधों का जिक्र तक नहीं किया है।
लगभग 100 गांवों के पानी की मार
मोरनी और रायपुर रानी क्षेत्र से टांगरी नदी में पानी आता है। इनकी सीमाओं पर 100 से अधिक गांव बसे हैं। यहां स्थानीय प्रशासन ने बाढ़ के पानी की रोकथाम के लिए दोनों तरफ 15-15 फुट के पक्के बांध बना दिए हैं। इसी प्रकार पंजाब सीमा के गांव मालन में भी स्थानीय प्रशासन ने पक्का बांध बनाया हुआ है जोकि हरियाणा सीमा यानि सरसेहड़ी गांव पर आकर खत्म हो जाता है। इसके आगे सरसेहड़ी और चंदपुरा गांव में टांगरी के साथ कोई भी पक्का तटबंध नहीं है जो टांगरी के पानी को रिहायशी क्षेत्रों में घुसने से रोक सके।
ये क्षेत्र हो रहे प्रभावित
टांगरी में आए पानी के कारण सबसे ज्यादा नाै गांव और 11 कॉलोनियां प्रभावित होती हैं। इसमें रामपुर, सरसेहड़ी, चंदपुरा, नग्गल, खोजकीपुर, करधान, सालारेहड़ी, रामगढ़ माजरा और ब्राह्मण माजरा गांव शामिल है। वहीं आजाद नगर, अर्जुन नगर, कमल नगर, स्कूल कॉलोनी, विकासपुरी, न्यू कॉलोनी, इंदिरा कॉलोनी, पूजा विहार, प्रभु प्रेम पुरम ईस्ट, प्रभु प्रेम पुरम, सोनिया कॉलोनी व प्रोफेसर कॉलोनी शामिल है।
नदी से बन गया नाला
महेश नगर क्षेत्र में टांगरी नदी पर जो पुल बना है। उसके नीचे आठ पिलर हैं, लेकिन पांच को मलबा डालकर ऊंचा कर दिया गया है, जिससे कि आसपास बनी दुकानों को नुकसान न पहुंचे। इसलिए नदी का पानी अब तीन पिलरों के सहारे ही आगे बढ़ता है। इस कारण नदी बारिश के दौरान नाले का रूप धारण कर लेती है जोकि बाढ़ का सबसे बड़ा कारण बनता है। इसलिए पानी आसपास बसी कॉलोनियों में घुस जाता है।
वर्जन
वार्ड नंबर 10 में रहता हूं। पिछले वर्ष टांगरी नदी किनारे बसे दर्जनों क्षेत्रों को बाढ़ से काफी नुकसान हुआ था। टांगरी नदी में हो रहे पक्के निर्माण व पिल्लरों के साथ डाला गया करीब 8-10 फुट मलबा नदी के बहाव में बाधा बना हुआ है। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासनिक अधिकारियों को इस पर तुरंत संज्ञान लेना चाहिए। नदी के अंदर बने कार वाशिंग स्टेशन और 8-9 दुकानों को (जिनकी रजिस्ट्री भी नहीं है, उन्हें तुरंत प्रभाव से हटाया जाए। बाढ़ के कारण पिछले वर्ष लगभग 30 हजार परिवारों व 2 हजार के करीब लघु व्यवसाय यूनिटों को काफी नुकसान हुआ था जोकि 1100 करोड़ के करीब था।
कमल कांत, राज्य निदेशक हरियाणा, एंटी करप्शन फाउंडेशन ऑफ इंडिया।
वर्जन
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स्थानीय लोगों से जुड़ी इस परेशानी को मुख्यमंत्री नायब सैनी के संज्ञान में लाया गया था। उनके निर्देश पर सरसेहड़ी से चंदपुरा तक टांगरी पर अस्थाई बांध बना दिया गया है। पक्के बांध को लेकर कार्रवाई चल रही है। आचार संहिता के बाद काम शुरु हो पाएगा।
आशीष तायल, जिला कोषाध्यक्ष भाजपा।
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यह सरकार की नाकामी है। लोगों की बरसों पुरानी समस्या का समाधान होना चाहिए था जोकि नहीं किया गया। खानापूर्ति के नाम पर मिट्टी डालकर काम पूरा कर दिया है। न तो टांगरी की खुदाई की गई है और न ही पक्के तटबंध बनाए गए हैं।
सुधीर जयसवाल, पूर्व डिप्टी मेयर, कांग्रेस।
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