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सिटी नागरिक अस्पताल में खड़ी एबुलेंस।
अंबाला सिटी। प्रदेश सरकार की ओर से मरीजों की सुविधा के लिए चलाई जा रही जिले भर की एंबुलेंस खुद इलाज की मोहताज हैं। ये एंबुलेंस बीते माह से मरम्मत के लिए वर्कशॉप गई थी लेकिन अभी तक विभाग को इनकी मरम्मत के लिए बजट की मंजूरी नहीं मिली।
इनमें से कई एंबुलेंस की किलोमीटर लिमिट भी तीन लाख से अधिक हो चुकी है। इसलिए उन्हें ठीक करवाने के लिए खर्च भी अधिक आएगा। रोजाना करीब एंबुलेंस कक्ष में 60 कॉल आती हैं। ऐसे में एंबुलेंस की कमी के कारण व्यवस्थाओं को बनाए रखना स्वास्थ्य विभाग के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। इसका खामियाजा अब अस्पताल में आने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
पीजीआई रेफर होने पर आती है दिक्कत
बीते तीन महीने में अंबाला सिटी और छावनी के नागरिक अस्पताल में कई बार देखने में आया कि मरीज को काफी इंतजार के बाद एंबुलेंस मिली थी। छावनी रेलवे स्टेशन पर हुए ट्रेन हादसे में घायल हुए एक युवक और हाईटेंशन तारों की चपेट में आए युवक को भी समय पर एबुलेंस नहीं मिली थी। इसके कारण तार की चपेट में आए युवक की पीजीआई पहुंचने पर ही मौत हो गई थी। मरीज को एक घंटे तक एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ा था।
ड्राइवरों की कमी से बढ़ी परेशानी

जिले में 26 एंबुलेंस हैं जिन्हें विभिन्न स्वास्थ्य केंद्राें और अस्पतालों पर लगाया गया है। आठ एबुलेंस पर विभाग के पास कोई चालक नहीं है। ऐसे में विभाग के एंबुलेंस की सुविधा होने के बाद भी काम नहीं आ रही है। विभाग के पास दो एएलएस एंबुलेंस है इनमें से एक ही ऑन रोड है। एएलएस में वेंटीलेटर की सुविधा भी होती है। वहीं बीएलएस 14 हैं जिनमें से आठ ऑन रोड हैं। बीएलएस में सिर्फ ऑक्सीजन की सुविधा होती है। वहीं आठ पीटीए एंबुलेंस हैं, इनमें से सात ऑन रोड हैं, किलकारी दो हैं, दोनों ही चल रही हैं। स्टाफ को देखें तो एंबुलेंस चलाने के लिए विभाग के पास कुल 67 चालक और 34 ईएमटी हैं। विभाग के पास 11 चालक एचकेआरएन और 56 चालक एनएचएम के तहत डयूटी देते हैं। एंबुलेंस के लिए एक ही महिला इएमटी कर्मी है। इसके साथ ही दो एमएमयू वैन भी हैं, जिनमें लैब संबंधी उपकरण लगाए गए हैं। ये वैन ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर शिविर लगाती हैं।
ऐसे मिलती है एबुलेंस
फ्लीट मैनेजर अंजली ने बताया कि अगर अस्पताल से किसी मरीज को रेफर किया जाता है तो डायल 112 के जरिये एंबुलेंस सेवा के लिए मरीज के फोन से कॉल करवाई जाती है। इसके बाद ईएमटी आईडी आती है। अगर आईडी नहीं आती को कंट्रोल रूम के फोन से आईडी ली जाती है और मरीज के लिए एंबुलेंस बुक हो जाती है।
वर्जन
एंबुलेंस रिपेयर करवाने के लिए खर्च को लेकर निदेशालय को लिखा गया है। एक से दो दिन में मंजूरी मिल जाएगी। इसके बाद एंबुलेंस को ठीक करवा दिया जाएगा।
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