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Ambala News: कांग्रेस की चुनौती में उलझा सीएम का गृह जिला Latest Haryana News

Ambala News: कांग्रेस की चुनौती में उलझा सीएम का गृह जिला Latest Haryana News

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वैभव शर्मा

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अंबाला। कार्यकारी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का गृह जिला अंबाला कांग्रेस की चुनौतियों के बीच उलझा दिखाई दे रहा है। चारों सीटों में से किसी पर भी भाजपा स्पष्ट रूप से आगे नहीं दिख रही।

सिटी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के असीम गोयल को कांग्रेस के निर्मल सिंह से सीधी चुनौती है। इसी तरह मुलाना सीट पर भी कांग्रेस की पूजा चौधरी और भाजपा की संतोष सारवान में सीधी टक्कर है।

हॉट सीट मानी जा रही छावनी विधानसभा में चित्रा सरवारा ने कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय खड़े होकर मुकाबले को रोचक बना दिया है। यहां कांग्रेस की फूट से पूर्व गृहमंत्री अनिल विज की राह कुछ आसान होती नजर आ रही है लेकिन हार-जीत इस बात पर तय करेगी कि कांग्रेस के वोट चित्रा और परविंदर परी में कितने विभाजित होते हैं। परविंदर परी इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार हैं।

सीएम नायब सैनी के गृह क्षेत्र नारायणगढ़ में मौजूदा विधायक शैली चौधरी फिर से मैदान में हैं। सीएम के लाडवा जाने और लाडवा से पवन सैनी को नारायणगढ़ भेजने के बाद क्षेत्र में नाराजगी नजर आ रही है। दबी जुबान में पवन सैनी पर बाहरी होने के आरोप लग रहे हैं। यहां बसपा इनेलो गठबंधन के उम्मीदवार हरबिलास अकेले जाट उम्मीदवार हैं। इससे मुकाबला और रोचक हो गया है।

अंबाला के चारों हलकों में कुल 39 उम्मीदवार हैं। जिले में पहले पांच विधानसभा क्षेत्र होते थे, जो नग्गल विधानसभा क्षेत्र खत्म होने के बाद चार रह गए। 1967 के बाद जिला में कोई नया विधानसभा नहीं बना है। इन विधानसभाओं में 13-13 बार चुनाव हुए हैं। इसमें सिटी विधानसभा क्षेत्र में सात बार जनसंघ और भाजपा तो चार बार कांग्रेस के विधायक चुने हैं। मुलाना विधानसभा क्षेत्र में पांच बार कांग्रेस, तीन बार भाजपा तो दो बार इनेलो से विधायक रहे हैं। इसी प्रकार नारायणगढ़ सीट पर छह बार कांग्रेस, दो बार भाजपा व एक बार इनेलो बसपा प्रत्याशी भी जीते हैं। हॉट सीट अंबाला कैंट में भाजपा से सात बार, पांच बार कांग्रेस से विधायक बने हैं।

अंबाला कैंट : कांग्रेस की फूट पहुंचा सकती है नुकसान (पुरुष-107608 और महिला-98652, कुल मतदाता- 206271)

अंबाला कैंट विधानसभा क्षेत्र पूर्व गृहमंत्री अनिल विज का हलका है। यहां पर भाजपा उम्मीदवार विज छह बार जीतकर विधायक बन चुके हैं। वह सातवीं बार चुनावी मैदान में हैं। यहां दूसरी बार चित्रा सरवारा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विज को चुनौती दे रही हैं। पिछली बार चित्रा ने विज के सामने 36 प्रतिशत से अधिक वोट लिए थे। जबकि विज को 53.04 प्रतिशत मतों के साथ जीत मिली थी। इस सीट पर कुल 11 प्रत्याशी मैदान में हैं। इस सीट पर पिछले कुछ समय से कांग्रेस बनाम कांग्रेस का माहौल बनता रहा है। इसका उदाहरण इसी बात से लगा सकते हैं कि वर्ष 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने वेनु अग्रवाल को टिकट दिया था तो चित्रा कांग्रेस छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ीं थी। इसी दौरान वेनु को 8534 वोट मिले थे। अगर इस सीट पर बगावत नहीं होती तो इसका फायदा कांग्रेस को मिलता। इस बार चुनावी मैदान में विज करोड़ों के विकास कार्यों को बता रहे हैं तो निर्दलीय चित्रा और कांग्रेस के परी भाजपा के भ्रष्टाचार पर मुकाबला कर रहे हैं। अगर जातीय समीकरणों को देखें तो विज और परी दोनों ही पंजाबी समाज से आते हैं, जिससे यहां समाज का वोट बंट सकता है। इसके साथ ही चित्रा एकमात्र जाट उम्मीदवार हैं। ऐसे में जाट फैक्टर अभी यहां नहीं दिखाई देता है। लेकिन इतना तय है कि यहां मुकाबला त्रिकोणीय होगा।

अंबाला सिटी: अधूरी परियोजनाओं से माहौल गर्माया, फंसेगा पेच ( पुरुष- 136600 व महिला- 125579 कुल मतदाता- 262199)

अंबाला सिटी विधानसभा सीट पर वर्ष 1967 से अब तक 13 बार विधायकी के चुनाव हुए हैं। जिसमें भाजपा और कांग्रेस हमेशा से आमने सामने रहे हैं और दोनों ही यह पसंदीदा सीट रही है। इस बार भी भाजपा से मंत्री रहे असीम गोयल को यहां कांग्रेस से निर्मल सिंह टक्कर दे रहे हैं। पिछली बार निर्मल सिंह कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर गए थे और कांग्रेस ने जसबीर मलौर को अपना उम्मीदवार बनाया था। कांग्रेस के जसबीर मलौर और कांग्रेस के ही निर्मल सिंह दोनों ही जाट नेता हैं और नग्गल हलका होने पर जाट वोटों को काफी प्रभावित करते रहे हैं। नग्गल हलका टूटने के बाद दोनों ही नेता कमजोर हुए थे। अब इसी फूट को कांग्रेस ने इस बार सिटी सीट पर साध लिया, उन्होंने आजाद नामांकन करने वाले जसबीर मलौर को मना लिया था। ऐसे में अब यह जोड़ी एक साथ भाजपा की सांसें चढ़ा रही है। इसके साथ ही कोरोना व अन्य हीलाहवाली से लटके शहर के प्रोजेक्ट भी भाजपा को एक बड़ी चुनौती दे रहे हैं।

नारायणगढ़: वापसी को चल रही जद्दोजहद (पुरुष 101243 व महिला- 90702 , कुल मतदाता – 191954)

नारायणगढ़ सीट पर कांग्रेस का वर्चस्व अधिक रहा है। इस बार भाजपा ने इस क्षेत्र से आने वाले नायब सिंह सैनी को सांसद से सीएम बनाकर ओबीसी कार्ड खेला था। भाजपा को उम्मीद है कि यह कार्ड प्रदेश के साथ-साथ सीएम के हलके में भी भाजपा को मजबूत करेगा। क्योंकि नारायणगढ़ में सैनी मतदाताओं की तादात भी अच्छी है। यही कारण है कि भाजपा कुरुक्षेत्र के लाड़वा से पवन सैनी को टिकट दी थी, क्योंकि वह भी सैनी समाज से आते हैं। मगर सीएम का छोटा कार्यकाल और नारायणगढ़ में विकास की कमी पर लोग अपनी राय रख रहे हैं। यहां से कांग्रेस ने शैली चौधरी को चुनावी मैदान में उतारा है। वह गुर्जर समाज से आती हैं और गुर्जर समाज के मतदाता भी नारायणगढ़ में काफी हैं। इसके साथ ही नारायणगढ़ सीट पर बसपा इनेलाे गठबंधन से हरबिलास रज्जूमाजरा अकेले जाट उम्मीदवार हैं। ऐसे में यह भी जाट व एससी मतदाताओं के साथ जोर आजमाइश कर रहे हैं। ऐसे में इस सीट पर हालात काफी खराब हैं।

मुलाना: काफी करीबी हो सकती है चुनावी जंग ( पुरुष- 118929 व महिला- 105186, कुल मतदाता- 224118 )

मुलाना आरक्षित सीट पर पूर्व मंत्री फूलचंद मुलाना के परिवार से पहले वरुण तो अब वरुण चौधरी की पत्नी पूजा चौधरी मैदान में हैं। वरुण हाल ही में सांसद बने हैं। लोकसभा चुनाव में उनके हलके ने जीत में काफी भरोसा जताया था। पूजा चौधरी नहीं इस चुनाव से राजनीति में डेब्यू कर रही हैं। उनके सामने पूर्व में मंत्री रहीं संतोष सारवान चुनावी मैदान में हैं। यहां संतोष सारवान की ग्रामीण इलाकों में पकड़ अधिक है तो वरुण अपने राजनीतिक अनुभवों और संबंधों से जोर आजमाइश कर रहे हैं। इस सीट पर चुनावी जंग काफी करीबी रह सकती है।

नोट- सभी प्रत्याशियों के फोटो नाम से संलग्न हैं। साथ ही अंबाला का सिंबोलिक फोटो व एक फोटो चौपाल चर्चा का भी शामिल है।

फोटो- अंबाला कैंट विधानसभा क्षेत्र के गांव दुखेड़ी में चर्चा करते ग्रामीण। संवाद

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