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अंबाला। लोगों को विदेश भेजने में मदद करने वाला इमिग्रेशन बिजनेस निचले स्तर पर पहुंच गया है। आलम यह है कि इमिग्रेशन सेंटर बंद होने के कगार पर हैं। कुछ केंद्र बंद हो गए हैं तो कुछ ने लगभग 95 प्रतिशत खर्चे कम कर लिए हैं।
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उन्हें उम्मीद है कि विदेश जाने के लिए अभ्यर्थी आएंगे तो दोबारा से यह व्यापार फलेगा। हकीकत यह है कि वीजा फाइलों के रद्द होने का सिलसिला जारी है। पिछले चार महीनों में कनाडा, अमेरिका और आस्ट्रेलिया जाने वाले एक-दो ही लोग हैं, जिनके वीजा लगे हैं। अधिकतर वीजा रद्द हुए हैं। यही कारण है कि अब इमिग्रेशन सेंटरों के संचालक अब दूसरे बिजनेस में हाथ आजमा रहे हैं।
वीजा रद्द होने के कारण
1. महंगी फीस और आसान कोर्सों के दरवाजे बंद
द स्कोलर वीजा इमिग्रेशन सेंटर के संचालक संदीप चोपड़ा बताते हैं कि कई इमिग्रेशन सेंटर बंद होने के कगार पर हैं। हमने तो सोलर पैनल लगाने का काम शुरू कर लिया है। कनाडा के लिए बैंक अकाउंट में 10 लाख रुपये रखने होते थे। अब ये राशि 14 लाख हो गई है। इसके साथ ही आर्ट्स और कॉमर्स के विद्यार्थी टूरिज्म और बिजनेस के सस्ते कोर्सों में दाखिला लेकर कनाडा चले जाते थे फिर वहां जाकर कोर्स करने की अपेक्षा काम करके सेटल होने के रास्ते तलाशते थे। मगर अब ये कोर्स महंगे कर दिए हैं। स्नातक के लिए एक-एक साल में 14 से 15 लाख रुपये की फीस लग रही है।
2. आस्ट्रेलिया बैंक स्टेटमेंट भी कर रहा सत्यापित
कैंट में एक इमिग्रेशन सेंटर के संचालक ने बताया कि पहले आस्ट्रेलिया जाने के लिए बैंक अकाउंट में एक मुश्त राशि दिखाने पर खेल होता था। ऐसा करके कई लोग विदेश चले गए। मगर अब आस्ट्रेलिया का इमिग्रेशन विभाग सत्यापन कर रहा है। आपने अगर बैंक खाते में धनराशि दिखाई है तो वह बैंक से सत्यापन कर रहे हैं। आयकर रिटर्न रिपोर्ट से मिलान कर रहे हैं। इसके साथ ही यह तक पूछ रहे हैं कि इतनी धनराशि का स्रोत क्या है। ऐसे में इतने सत्यापनों को पार करना मुश्किलहै। जो वास्तव में नियमों को पूरा करेगा सही तरीके से वह ही आस्ट्रेलिया जा सकेगा।
3. अमेरिका जाना सपने जैसा
अमेरिका जाना पहले ही सपने जैसा है। यहां पढ़ाई के लिए जाना भी चाहे तो उस व्यक्ति का आर्थिक रूप से सशक्त होना जरूरी है। इसके बाद इमिग्रेशन के सख्त नियमों को पार करना पड़ता है। इन नियमों को पूरा करने पर भी अब अमेरिका का वीजा मिलना काफी कठिन हो गया है। यही कारण है कि यहां डोंकी के माध्यम भेजने का एक अवैध कारोबार विकसित हो गया। यह कारोबार सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि कई देशों में फैल गया।
पहले थे 500 बच्चे अब 50 भी नहीं
अंबाला में ऐसे दो-तीन इमिग्रेशन सेंटर हैं, जो अभ्यर्थियों की विदेश जाने में मदद करते थे। इन सेंटरों पर कभी 500 से अधिक अभ्यर्थी थे मगर अब 50 रह गए हैं। इसी कारण से अंग्रेजी आदि विषयों में तैयारी कराने वाले शिक्षकों को हटा दिया है। एक ही शाखा पर बैच लेने की काैशिश की जा रही है। इमिग्रेशन सेंटर संचालकों से बात करें तो उनका एक ही जवाब है कि अभ्यर्थी आ ही नहीं रहे हैं। इसके साथ ही सेंटर संचालकों ने अपनी शाखाओं को कम करने पर भी विचार शुरू कर दिया है।
डर का माहौल बना दिया है
इंडो वेस्ट इमिग्रेशन सेंटर की संचालिका विम्मी साहनी बताती हैं कि मार्केट अभी काफी धीमा है। कनाडा और अब अमेरिका से जुड़ी खबरें आने के बाद एक डर का माहौल बना है। मगर हकीकत में अगर आपके दस्तावेज पूरे हैं, आपका अच्छा एकेडमिक है, वित्तीय जानकारियां सही हैं तो उन्हें दिक्कत नहीं होनी चाहिए। हालांकि पहले जिस प्रकार से वीजा स्वीकृत होते थे अब निश्चित तौर पर उनकी संख्या कम हुई है।